डेयरी टुडे नेटवर्क
भिंड(एमपी), 10 अक्टूबर 2017,
दीपावली पर्व आने में अभी हफ्तेभर से ज्यादा का वक्त शेष है। लेकिन त्योहार से पहले कई गांवों में बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध और मावा भटि्टयों पर तैयार किया जा रहा है।
भिंड जिले के मौ क्षेत्र में ऐसी 16 से अधिक भट्टी संचालित हो रही हैं। वहीं इन भटि्टयों पर तैयार होने वाला मावा जिला मुख्यालय के अलावा अन्य राज्य और जिलों में भी सप्लाई किया जा रहा है। इसके अलावा गोरमी क्षेत्र के प्रतापपुरा गांव में भी बड़े पैमाने पर मिलावटी मावा तैयार किया जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि जिला प्रशासन के आलाधिकारियों को इस संबंध में जानकारी है। लेकिन उसके बाद भी मिलावटखोरी करने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
गौरतलब है कि दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है। मिठाईयों की दुकानों पर मावा और दूध की डिमांड बढ़ गई है। जिससे चलते मौ क्षेत्र में संचालित भट्टियों पर 35 क्विंटल मावा(मिलावटी) तैयार किया जा रहा है। जिसे जिला मुख्यालय, ग्वालियर, दिल्ली, आगरा, मुरैना, इटावा भेजा जा रहा है। क्षेत्र के द्वारिकापुरा, स्लमपुरा, मिलकपट्टी, मौ-बेहट रोड, देहगांव, टिठोना, घमूरी, छेंकुरी, खेरिया, मघन,झांकरी में मावा बनाने के लिए करीब 16 भटि्टयां संचालित हो रही हैं। स्थिति है कि भटि्टयों पर मावा बनाने के लिए हर रोज करीब 10 हजार लीटर दूध आता है। जिससे 35 क्विंटल मावा तैयार किया जाता है। वहीं गोहद एसडीएम कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है उनके अनुसार मौ क्षेत्र में नकली मावा भटि्टयों पर बनाया जा रहा है। तो वहां पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को भेजकर कार्रवाई कराई जाएगी।
मावा बनाने के लिए पहले शुद्ध दूध से क्रीम निकाल ली जाती है। सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटरजेंट और घटिया क्वालिटी का रिफाइंड और वनस्पति घी मिलाया जाता है। मावा में चिकनाहट लाने के लिए वनस्पति और रिफाइंड को दोबारा मिलाया जाता है। मावा ज्यादा दिन तक सुरक्षित रहे इसलिए उसमें शक्कर मिला दी जाती है।
भिंड और आसपास के इलाकों में धड़ल्ले से मिलावटी मावा से मिठाियां तैयार की जा रही हैं। लोग इन दुकानों पर अच्छी मिठाई मिलने का भरोसा लेकर मिठाई खरीदने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि इन दुकानों के मालिक भी थोड़े लाभ के लिए मिलावटी मावा से मिठाई तैयार कर रहे हैं। इस संबंध में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारियों को जानकारी है। लेकिन उसके बाद भी वे इन दुकानों पर कार्रवाई करने के लिए नहीं पहुंचते हैं। इससे स्पष्ट है कि यह मिलावट का खेल भट्टी मालिक, दुकानदार और अधिकारियों की सांठगांठ से खेला जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षेत्र में हर साल त्योहारों के सीजन में नकली मावा बड़ी संख्या में बनाया जाता है। लेकिन यहां पर जांच करने के लिए फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारी नहीं आए हैं। वहीं एक साल पहले आए थे लेकिन जांच के दौरान उन्होंने मावा निर्माण भट्टी संचालक विनोद परिहार पर कार्रवाई की थी। उसके बाद से यहां पर कोई नहीं अाया है।
मौ क्षेत्र की तरह ही गोरमी क्षेत्र के ग्राम प्रतापपुरा में भी दिवाली से पहले नकली मावा तैयार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार यहां पर संचालित करीब आठ भटि्टयों पर हर रोज मिलावटी मावा तैयार किया जाता है। जिसको उप्र, दिल्ली, हरियाणा भेजा जाता है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी यहां पर कोई कार्रवाई करने नहीं आया है।
चिकित्सकों के मुताबिक मिलावटी मावा से बनी मिठाई खाने से फूड प्वाॅइजनिंग हो सकती है। पेट और लिवर को नुकसान हो सकता है। उल्टी-दस्त सहित गले की बीमारियां होने का अंदेशा रहता है। इसलिए मिलावटी खाद्य सामग्री नहीं खाना चाहिए।
साभार-दैनिक भास्कर
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