गौशालाओं में गायों की मौत को लेकर मायावती का बीजेपी और संघ पर हमला

डेयरी टुडे नेटवर्क,
लखनऊ, 24 अगस्त 2017,

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी को निशाना बनाते हुए गायो को लेकर एक सवाल किया है। उन्होंने कहा की गायें तड़प-तड़प कर मर रही हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा भाजपा के लोगो ने चुप्पी क्यों साधी हुई हैं। मायावती ने कहा कि भाजपा सरकार के सुशासन में लोगों की जान की कोई कोई कीमत नहीं है। अब तो गो माताओं पर भी आफत आ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में भ्रष्टाचार के कारण सरकारी सहायता वाली गौशालाओं में भी गायें भूखी-प्यासी हैं और तड़प-तड़प कर मर रही हैं।

बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि गौ माता को राम मंदिर की तरह राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है और जो गौशालाएं बूचड़खाना बन चुकी है उन पर कोई रोक नहीं है। गायों की मौत पर आरएसएस और बीजेपी के नेता जवाब देने के लिए तैयार नहीं है।

अगर बात यूपी की करें तो योगी सरकार के आते ही अवैध बूचड़खाने बंद हो गए हैं, लेकिन प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या छुट्टा जानवर इस पर अभी तक सरकार का ध्यान ही नहीं गया। उत्तर प्रदेश का कोई शहर, गांव कस्बा हो या देश का कोई दूसरा शहर सड़क पर गायों के झुंड के झुंड नजर आएँगे। जबकि ऐसी गायों को पालने ने बनाई गई गोशालाओं में अवस्थाओं के बीच मायूसी पनप रही है।

लखनऊ की सड़कों पर आवारा जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुश्किल यह भी है कि जिन गौशालाओं में आवारा पशुओं को रखा जाता है, वहां पशुओं की इतनी संख्या हो गई है कि अब और जगह ही नहीं बची है। छुट्टा जानवर यानी वो पशु जिनके मालिक दूध निकालने के बाद चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं, लेकिन बाहर चारे का इंतजाम न होने पर वो किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या गायों की है, उसके बाद सांड और बछड़े हैं।

देशभर में गौशालों की हालत बदतर

यह स्थिति उत्तर प्रदेश की गोशालाओं की ही नहीं है बल्कि कई राज्यों की दर्जनों गोशालाओं की है। कभी अनुदान तो कभी गोशालाओं में काम करने के लिए कर्मचारियों की कमी से गोशालाओं को जूझना पड़ता है। पिछले महीने राजस्थान में जालौर की पचमेढ़ा गौशाला में सैकड़ों गायों की मौत हो गई। गायों की मौत बाढ़ के पानी से हुई, सबसे ज्यादा मौते उन गायों की हुई जो चलने फिरने में असमर्थ थीं और उन्हें उठाने के लिए कर्मचारियों की संख्या काफी कम थी। पिछले साल राजस्थान की हिंगोनिया गोशाला में भी कई गायों की मौत हो गई थी। इसकी वजह पर गौर करना इसलिए जरुरी है क्योंकि लचर प्रबंधन और मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे और नतीजन ये हादसा हुआ।

हर छह साल में देश में होने वाली पशुगणना 2012 के मुताबिक देश के 51 करोड़ मवेशियों में से गोवंश (गाय-सांड, बैंड बछिया, बछड़ा) की संख्या 19 करोड़ है। उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 95 लाख गोवंश हैं।

469total visits.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय खबरें