डेयरी टुडे नेटवर्क,
30 जुलाई 2018,
भारत में दूध की अत्यधिक आपूर्ति से सूखे दुग्ध पाउडर की अंतरराष्ट्रीय कीमतें प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि सरकार ने स्थानीय किसानों की सहायता के लिए रियायत दी है। इससे निर्यात में नौ गुना तेजी आने का अनुमान है। भारत का स्किम्ड दुग्ध पाउडर (एसएमपी) निर्यात 2018/19 वित्त वर्ष में बढ़कर 100,000 टन पर पहुंच जाने का अनुमान है क्योंकि सरकारी पहलों से वैश्विक बिक्री में तेजी आई है और दुनिया के इस सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश से दुग्ध आपूर्ति वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी हो गई है।
इस उद्योग के विश्लेषकों और अधिकारियों के अनुसार भारत से दुग्ध आपूर्ति में तेजी से वैश्विक एसएमपी कीमतों पर दबाव पड़ सकता है जो अतिरिक्त आपूर्ति की वजह से चार साल में घटकर आधी रह गई हैं। निर्यात से भारत को उस इन्वेंट्री को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी जिसकी वजह से स्थानीय दुग्ध कीमतें गिरकर तीन साल के निचले स्तर और उत्पादन लागत से नीचे आ गईं हैं। इसे लेकर किसानों में गुस्सा पैदा हो गया है। इसके फलस्वरूप पैदा हुए विरोध को ध्यान में रखते हुए भारत के प्रमुख दुग्ध उत्पादकों गुजरात और महाराष्ट्र ने एसएमपी के निर्यात पर 50,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी की पेशकश की है जबकि केंद्र सरकार ने निर्यात कीमत के 10 प्रतिशत की अतिरिक्त सब्सिडी मंजूर की है। देश की सबसे बड़ी दुग्ध प्रोसेसर गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के महानिदेशक आर एस सोढी ने कहा, ‘भारत बड़ी मात्रा में निर्यात नहीं कर रहा है। सरकारी सहायता से आने वाले महीनों में निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
1 अप्रैल से शुरू हुए वर्ष 2018-19 में 100,000 टन दुग्ध निर्यात की संभावना है जो पिछले वर्ष 11,500 टन की तुलना में कई गुना अधिक है। उम्मीद से ज्यादा भारतीय निर्यात से वैश्विक स्किम्ड दुग्ध कीमतों पर दबाव पड़ सकता है जो जनवरी के 1,550 डॉलर प्रति टन के निचले स्तर से हाल में उबरी हैं। सीएमई गु्रप पर बेंचमार्क कीमत मौजूदा समय में 1,730 डॉ राबोबैंक में वरिष्ठï डेयरी विश्लेषक शिवा मुदगिल ने कहा, ‘वैश्विक बाजार में भारतीय एसएमपी की संभावित वृद्घि से वैश्विक एसएमपी कीमतों पर दबाव बना रहेगा।’
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि वैश्विक बाजार में भारतीय एसएमपी 1,700 डॉलर प्रति टन का मूल्य हासिल कर रहा है जबकि स्थानीय कीमत 1,900 डॉलर प्रति टन है और उत्पादन लागत 2,900 डॉलर प्रति टन। महाराष्ट्र की डेयरी फर्म पराग मिल्क फूड्स के चेयरमैन देवेन्द्र शाह का कहना है कि भारतीय डेयरी कंपनियां स्थानीय और वैश्विक कीमतों में भारी अंतर की वजह से शुरू में एसएमपी निर्यात नहीं कर रही थीं, लेकिन सरकारी सब्सिडी की वजह से यह अंतर घटा है। शाह ने कहा, ‘सब्सिडी के बाद भी, डेयरियों को निर्यात के संदर्भ में नुकसान से जूझना पड़ेगा।’
भारत का डेयरी उद्योग पूरे भारत में छोटे किसानों की जीवनरेखा बना हुआ है और यह खासकर कमजोर फसल के समय में अच्छा राजस्व मुहैया कराने में सफल रहा है। भारतीय किसान गेहूं और चावल की बिक्री से मिलने वाली रकम की तुलना में दूध की बिक्री से अच्छी कमाई करते हैं। राबोबैंक का मानना है कि देश का दुग्ध उत्पादन पिछले दशक के दौरान 4.9 फीसदी की सालाना चक्रवृद्घि दर से बढ़ा है और इस वित्त वर्ष में यह 18 करोड़ टन पर पहुंच जाने का अनुमान है। लेकिन इस साल दुग्ध कीमतों में गिरावट से किसानों की आय प्रभावित हुई है जिस पर कमजोर फसल कीमतों की वजह से पहले ही दबाव बना हुआ था। भारत में दूध की कीमतें पिछले 18 महीनों में 20-25 फीसदी गिरी हैं, जबकि पशु चारे की कीमतों में तेजी आई है।
(साभार-बिजनेस स्टैंडर्ड)
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If the matter Is translate to English. Very helpful for understand to non Hindi speaking area.
Seeing the present Mansoon and rain fall there will be some of the state may face issue of green fodder and also milk collection , same situation is happening in Australia. Possible in near future these would impact SMP prices. It is also important that farmers are not getting good price is not the only issue with SMP prices but most of the Brands has not revised their consumer prices since last 1.5 years.
Farmer not feel good
Nice info.
In India farmer cannot made milk powder in their home
Good info
Nice