मध्यप्रदेश में दूध के बंपर उत्पादन के बाद भी उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को घाटा

डेयरी टुडे नेटवर्क
भोपाल,7 जनवरी 2018,
दूध का बंपर उत्पादन होने के बावजूद मध्यप्रदेश में इसका फायदा न उपभोक्ताओं को मिल रहा है और न ही दूध उत्पादक किसानों को। मध्यप्रदेश में इन दिनों दूध का बंपर उत्पादन हो रहा है। जानकारों के मुताबिक प्रदेश में कुल खपत के मुकाबले यह काफी ज्यादा है। फिर भी इसका फायदा न उपभोक्ताओं को मिल रहा है न दूध उत्पादक किसानों को। उपभोक्ता दूध की अधिक कीमतों से जूझ रहे हैं जबकि किसान दूध उत्पादन में आ रही लागत नहीं निकाल पा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह दूध की खरीदी-बिक्री को लेकर कोई स्पष्ट नीति का न होना है। हाल ही में मुरैना में नाराज दुग्ध उत्पादकों ने निजी कंपनियों की मनमानी के खिलाफ हड़ताल कर दी थी।

प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग की है लेकिन दूध का होगा क्या, इसके लिए ठोस योजना किसी के पास नहीं है। पशुपालन विभाग के मुताबिक प्रदेश में रोजाना करीब 3.68 करोड़ लीटर दूध पैदा होता है। इनमें से सहकारी दुग्ध संघ 14 लाख लीटर दूध भी नहीं खरीद पा रहे हैं क्योंकि उनकी खपत ही 8 से 9 लाख लीटर रोजाना है। इस हिसाब से कुल उत्पादन का 5 फीसदी दूध सहकारी संघ खरीदते हैं और इसका 95 फीसदी कारोबार निजी हाथों में हैं। उपभोक्ता व उत्पादक दोनों ही निजी क्षेत्र के फैसलों से प्रभावित होने को मजबूर हैं।

इसमें केवल मुनाफे की बात होती है। यही नहीं, बीते साल गर्मी में आवक कम हुई तो सहकारी संघों ने दूध की कीमत (दो बार में) 4 रुपए बढ़ा दी। आज भी उपभोक्ता यही कीमत दे रहे हैं जबकि संघों के पास दूध की बंपर आवक हो रही है। यहां तक कि दूध को पाउडर के रूप में सुरक्षित रखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

संघों ने गर्मी में दूध की कमी से निपटने किसानों को मामूली कीमत बढ़ाकर राहत दी थी लेकिन आवक बढ़ते ही तीन महीने में दूध की खरीदी की कीमत 4 से 5 रुपए प्रति लीटर घटा दी है। संघों का दावा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मिल्क पाउडर व मक्खन की कीमतों में गिरावट आई है इसलिए निजी कंपनियों ने खरीदी बंद कर दी है।

खेती में प्राकृतिक कारणों से लगातार नुकसान हो रहा है इसलिए किसान दूध उत्पादन की तरफ बढ़े हैं। निजी कंपनियां भी समय-समय पर किसानों को अच्छी कीमत देकर लुभाती आई हैं। लेकिन जब दूध की आवक बढ़ जाती है तो खरीदी बंद कर दी जाती है। किसान कम कीमतों में दूध बेचने को मजबूर हो जाता है।

1473total visits.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय खबरें