दूध के दामों की तीव्र गिरावट थामने की कवायद, कृषि मंत्रालय का दूध खरीदने पर जोर

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 11 जनवरी 2018,

दूध के दामों में तीव्र गिरावट को काबू में करने के लिए कृषि मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के विभाग की मूल्य स्थिरीकरण निधि योजना के अंतर्गत दूध को शामिल करना चाहता है। अधिकारियों ने कहा कि इससे राज्य सरकार और दूध संघ किसानों से भारी मात्रा में ताजे दूध की खरीद कर सकेंगे और भविष्य में उपयोग के लिए इसे घी तथा स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) में परिवर्तित कर सकेंगे। हालांकि, इस निधि में केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में आवंटित 35 अरब रुपये का लगभग 99 प्रतिशत भाग दिसंबर तक व्यय हो चुका है। इसका ज्यादातर हिस्सा किसानों से दालों की खरीद में गया है।

दूध को मूल्य स्थिरीकरण निधि में शामिल करने की कोशिश

अधिकारियों ने कहा कि एक बार दूध को मूल्य स्थिरीकरण निधि में शामिल कर लिया जाए तो फिर इससे राज्य भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से दूध वितरित कर सकेंगे। मूल्य स्थिरीकरण निधि में आधा योगदान केंद्र करता है और बाकी हिस्सा राज्य देते हैं। कृषि मंत्रालय ने दिसंबर के मध्य में राज्यों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को मिड-डे मील, सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा आंगनबाडिय़ों के माध्यम से दूध वितरण करने का एक सुझाव दिया था। मुख्य रूप से कमजोर वैश्विक बाजार और दूध सीजन के दौरान अधिशेष आपूर्ति के कारण दूध खरीद के मूल्य में तीव्र गिरावट के परिदृश्य में दूध के लिए अतिरिक्त घरेलू मांग निर्मित करने के हालिया उपाय अपनाए गए हैं।

दूध खरीद निम्नतम स्तर पर पहुंची

दूध का सीजन नवंबर से मार्च तक चलता है, तब आपूर्ति आमतौर पर ऊंची रहती है। हालांकि इस अवधि के दौरान दामों में मंदी का रुख रहता है, लेकिन इस साल की गिरावट का खासतौर पर उल्लेख किया जा रहा है क्योंकि खरीद दर अपने निम्नतम स्तर तक जा चुकी है। 2015 के बाद से दूध के कमजोर वैश्विक बाजार का भी इस गिरावट में योगदान रहा है। 2015 में वैश्विक बाजारों में जो स्किम्ड मिल्क पाउडर प्रति टन 5,000 डॉलर पर बोला गया था, अब वह प्रति टन 2,000 डॉलर से नीचे है।

गाय का दूध 18 रुपये और भैंस का 26 रुपये लीटर

अधिकारियों ने कहा कि महाराष्ट्र में दूध खरीद के दाम पिछले साल के 26-27 रुपये प्रति लीटर से गिरकर 18 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं, जबकि पंजाब और हरियाणा में भैंस के दूध के दाम पिछले साल के 38-40 रुपये प्रति लीटर से गिरकर 26 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं। हालांकि, इस साल सहकारी समितियों ने अपनी खरीद 25-30 प्रतिशत तक बढ़ा दी है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। निर्यात मुश्किल होने की वजह से निजी क्षेत्र ने इस साल दूध खरीदने में कम रुचि दिखाई है। वर्ष 2017-18 में दूध का कुल उत्पादन पिछले साल के 16.5 करोड़ टन उत्पादन के मुकाबले 6-7 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान जताया गया है। सरकार का अनुमान है कि देश में 1,16,000 टन स्किम्ड मिल्क पाउडर का स्टॉक है और मार्च तक इसके 2,00,000 टन तक पहुंचने की संभावना है।
(साभार-बिजनेस स्टैंडर्ड)

Editor

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  • Convert surplus milk to longer shelf milk products.Govtt & state federations should support.

  • दूध के बाजार में हमेशा अस्थिरता देखी गई है । चूंकि दूध भी किसान के द्वारा उत्पादित जिंस है अतः सरकार ध्यान ही नही देती है । इस पर भी समर्थन मूल्य तय होना चाहिए

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