मलाईरहित दूध पीने से हो सकती है ये बीमारी

डेयरी टुडे डेस्क,

जी हाँ, सेहत का रखें ख्याल क्योंकि मलाईरहित दूध पीने से लंबे समय में लाभ की बजाय नुकसान हो सकता है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि मलाईरहित दूध का नियमित सेवन करने से पार्किंसन बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, कम वसा वाले डेयरी उत्पादों के नियमित सेवन और मस्तिष्क की सेहत या तंत्रिका संबंधी स्थिति के बीच एक अहम जुड़ाव है। डेयरी उत्पाद से उनका आशय दही, दूध और पनीर से था।

बता दें कि शोधकर्ताओं ने 1.30 लाख लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण करके यह नतीजा निकाला। ये आंकड़े इन लोगों की 25 साल तक निगरानी करके जुटाए गए थे। आंकड़ों ने दिखाया कि जो लोग नियमित रूप से दिन में एक बार मलाईरहित या अर्ध-मलाईरहित दूध पीते थे, उनमें पार्किंसन बीमारी होने की संभावना उन लोगों के मुकाबले 39 फीसदी अधिक थी, जो हफ्ते में एक बार से भी कम ऐसा दूध पीते थे। साथ ही शोधकर्ताओं ने कहा, लेकिन जो लोग नियमित रूप से पूरी मलाईवाला दूध पीते थे उनमें यह जोखिम नजर नहीं आया। उन्होंने कम वसा वाले दही, पनीर आदि अन्य डेयरी उत्पादों का नियमित सेवन करने वाले लोगों का भी विश्लेषण किया। वास्तव में उन्होंने कम वसा वाले डेयरी उत्पादों के तमाम रूपों के नियमित इस्तेमाल और उसके संभावित नतीजों पर गौर किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कम मलाई वाले डेयरी उत्पाद का दिन में कम से कम तीन बार सेवन करते थे उनमें पार्किंसन बीमारी होने का जोखिम 34 फीसदी अधिक था।

गौरतलब है कि शोधकर्ताओं ने कहा कि संभवत तमाम डेयरी उत्पादों में पार्किंसन बीमारी का जोखिम बढ़ाने की क्षमता है। उनका अनुमान है कि इनके सेवन से शरीर में सुरक्षात्मक रसायनों (यूरेट) के स्तर में कमी आती है, जिससे पार्किंसन का जोखिम बढ़ जाता है। लेकिन पूर्ण मलाईदार डेयरी उत्पादों के सेवन से यह जोखिम कम किया जा सकता है। क्योंकि उनमें मौजूद संतृप्त वसा संभवत: सुरक्षात्मक रसायनों के स्तर में कमी लाने की प्रक्रिया को उलट देती है।

बता दें कि यह अध्ययन मेडिकल जर्नल ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा, इस अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि पार्किंसन से बचाव में यूरेट अहम साबित हो सकता है। जहां तक डेयरी उत्पादों के सेवन की बात है तो लोगों को फिलहाल आदत बदलने की आवश्यकता नहीं है। दरअसल इस अध्ययन से पार्किंसन के कारण के बारे में एक अहम साक्ष्य मिला है, लेकिन इस संबंध में और अधिक अध्ययन की जरूरत है।

क्या है पार्किंसन बीमारी

-यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में क्षरण से जुड़ा विकार है, जो समय के साथ क्रमश: बढ़ता जाता है

-इसमें मस्तिष्क के उस हिस्से की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं जो गति को नियंत्रित करता है

-कंपन, मांसपेशियों में सख्ती व तालेमल की कमी और गति में धीमापन इसके आम लक्षण हैं

-अभी इसका कोई पक्का उपचार नहीं है, न ही इसकी बढ़त रोकने का कोई निश्चित उपाय है

स्रोत-न्यूज नेटवर्क

Editor

Recent Posts

हरियाणा के डेयरी किसान गुरुमेश बने मिसाल, डेयरी फार्म से हर महीने 15 लाख की कमाई

डेयरी टुडे नेटवर्क, करनाल, 5 नवंबर 2024, हरियाणा के करनाल के प्रगतिशील डेयरी किसान गुरमेश…

3 days ago

केंद्रीय डेयरी एवं पशुपालन मंत्री ने जारी किए मानक पशु चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश (SVTG)

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2024, केंद्रीय डेयरी, पशुपालन एवं मत्स्यपालन…

2 weeks ago

मोदी सरकार ने की 21वीं पशुधन-गणना की शुरुआत, महामारी निधि परियोजना भी लॉन्च की

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2024, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और…

2 weeks ago