डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 20 अक्टूबर 2017,
केंद्र सरकार देशभर में दूध की कीमतों पर लगाम लगाने की तैयारी में है। कृषि मंत्रालय ने मत्रियों के समूह को दूध को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। आवश्यक वस्तु अधिनियम में आने से दूध के भाव पर सरकारी नियंत्रण होगा। इस कदम से किसानों और ग्राहकों दोनों को फायदा होगा।
गौरतलब है कि मिल्क प्रोसेसिंग और पैक्ड दूध बेचने वाली कंपनियां, किसानों से 24 रुपये प्रति लीटर के भाव से दूध खरीद रही हैं। वहीं महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यो में पिछले 3 महीने में दुग्ध कंपनियों ने किसानों से दूध के खरीद का भाव 2 से 3 रुपये कम कर दिया गया है। लेकिन उपभोक्ताओं को इसका फायदा नहीं दिया गया है। आपको बता दें कि नंवबर से मार्च तक दूध की सप्लाई बढ़ जाती है और इसी का फायदा दूध कंपनियां उठाती हैं और किसानों को दूध के बाजिब दाम नहीं मिलते हैं।
डेयरी उद्योग के जानकारों का कहना है कि मौजूदा हालात में दुग्ध उत्पादक किसानों की किस्मत में हर हाल में शोषण होना लिखा है, हर तरफ से डेयरी किसानों का शोषण होता है। हालांकि हमेशा से दुध के दाम भी सरकारी नियंत्रण में करने की मांग की जाती रही है। जैसे गेहूं, धान आदि फसलों को न्यूनतर समर्थन मूल्य सरकार घोषित करती है उसी तरह से दूध के न्यूनतम खरीद दाम भी घोषित किए जाने की मांग की जाती रही है।
अब केंद्र सरकार ने दूध को आवश्य वस्तु अधिनियम के तहत लाने का प्रस्ताव किया है, यदि ये प्रस्ताव मान लिया जाता है तो सरकार के दूध के भाव के लिए प्रस्तावित प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड से किसानों को मदद मिल सकती है और डेयरी किसानों की दशा सुधर सकती है। साथ ही दुग्ध कंपनियों पर भी लगाम लगाई जा सकती है।
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Aacha hoga kisan ke liy
Aisa hona sa kisano ko adhik labh milaga our unka Vikesh bhi hoga.
This praposal should be emidiatelying. Control for the cheeter pvt dairy companies
Very good proposal for milk producers
सराहनीय कार्य
Except Amul no one pays good return to their mill producing farmers dur to which these conditions arises, so it is very essential for govt to take necessary steps regarding this, if this happens then it will create a remarkable step for the better future of milk farmers specially in Bihar, UP & MP
Good that mail id wil not be published
Solution lies in helping dairy companies and Cooperatives in moving up the value chain and in adoption of efficient technology
besides making efficient organization. Most of the dairy organisations sell bulk of milk purchased from farmers as polypack milk or milk powder. The capacity for the same is limited and they use outdated technology. The price of milk powder in international market has impacted Indian milk markets - reduction in farmer level price and increase in price of milk used by masses in the absence of premium products where margins are higher. It is MY PERSONAL VIEWS.
Good proposed move for farmers nd consumers
As milk drinking is the necessory items for children , sick person & poorer .so it should come as a essential commodity must come under Govt. as I already had perposed for it.