जानिए कैसे काम करती है Milking मशीन और Dairy Farmers के लिए क्यों है जरूरी

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली,

देश के तमाम ग्रामीण इलाकों में गाय या भैंस का दुध दुहने में हाथों का इस्तेमाल किया जाता है और सदियों से यही पारंपरिक तरीका अपनाया जा रहा है। लेकिन जब से Dairy Farming की नई-नई तकनीकें सामने आई हैं पारंपरिक तरीके पीछे छूटते जा रहे हैं। मिल्किंग मशीन यानी दूध दुहने की मशीन ने डेयरी फार्मिंग और पशुपालन की दुनिया में क्रांति ला दी है। मशीन से दुध निकालना काफी सरल है और इससे दूध का उत्पादन भी 15 फीसदी तक बढ़ जाता है। मशीन से दूध निकालने की शुरुआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई और आज यह तकनीक दुनिया भर में इस्तेमाल की जा रही है। आजकल डेरी उद्योग से जुड़े अनेक लोग पशुओं से दूध निकालने के लिए मशीन का सहारा ले रहे हैं।

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पशुओं का दूध दुहने वाली मशीन को Milking Machine के नाम से जानते हैं। इस मशीन से दुधारू पशुओं का दूध बड़ी ही आसानी से निकाला जा सकता है। इससे पशुओं के थनों को कोई नुकसान नहीं होता है। इससे दूध की गुणवत्ता बनी रहती है और उस के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। यह मशीन थनों की मालिश भी करती और दूध निकालती है। इस मशीन से गाय को वैसा ही महसूस होता है, जैसे वह अपने बच्चे को दूध पिला रही हो। शुरुआत में गाय मशीन को लेकर दिक्कत कर सकती है लेकिन धीरे-धीरे इसे आदत हो जाती है और फिर मशीन से दूध दुहने में कोई दिक्कत नहीं होती।

मशीन से मिलता है स्वच्छ दूध

Milking Machine से दूध निकालने से लागत के साथ-साथ समय की भी बचत होती है और दूध में किसी प्रकार की गंदगी नहीं आती। इस से तिनके, बाल, गोबर और पेशाब के छींटों से बचाव होता है। पशुपालक के दूध निकालते समय उन के खांसने व छींकने से भी दूध का बचाव होता है। दूध मशीन के जरीए दूध सीधा थनों से बंद डब्बों में ही इकट्ठा होता है.

Milking Machine के बारे में जानकारी

Milking Machine कई तरह की होती है। जो डेयरी किसान अपनी डेयरी में पांच लेकर पचास गाय या भैंस पालते हैं उनके लिए ट्रॉली बकेट मिल्किंग मशीन पर्यापप्त है। ये मशीन दो तरह की होती सिंगल बकेट और डबल बकेट। सिंगल बकेट मिल्किंग मशीन से 10 से 15 पशुओं का दूध आसानी से दुहा जा सकता है वहीं डबल बकेट मिल्किंग मशीन से 15 से चालीस पशुओं के लिए पर्याप्त है। ट्रॉली लगी होने के कारण इस मशीन को फार्म में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना सुविधाजनक होता है। दिल्ली-एनसीआर में Dairy Farm के उपकरण बनाने वाली कंपनी के सेल्स हेड और Modern Dairy Farming के जानकार ने बताया कि मशीन से दूध दुहने से पशु और पशुपालक दोनों को ही आराम होता है। उन्होंने बताया कि मशीन के अंदर लगे सेंसर गाय के थनों में कोई दिक्कत नहीं होने देते और निर्वाध रूप से दूध निकलने देते हैं। उन्होंने बताया कि मशीन से दूध दुहने में 4 से 5 मिनट का वक्त लगता है, जिसमें कुल दूध का साठ फीसदी दूध शुरुआत के दो मिनट में निकल आता है और बाकी का बाद में। आपको बता दें सिंगल बकेट मिल्किंग मशीन 35000 से 45000 के बीच मिलती है वहीं डबल बकेट मिल्किंग मशीन 60000 से 70000 के बीच। दिल्ली-एनसीआर में इन मशीनों को बनाने वाली कई कंपनियां हैं और पशुपालकों को ये मशीन आसानी से उपलब्ध है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं बगैर ट्राली के भी ये मशीने उपलब्ध हैं और रेट भी काफी कम हैं।

फिक्स टाइप मिल्किंग मशीन

फिक्स टाइप मिल्किंग मशीन को Dairy Farm के एक हिस्से में स्थापित किया जाता है। इसमें जरूरत के हिसाब से एक से लेकर तीन बकेट तक बढ़ाया जा सकता है। इस मशीन के रखरखाव में खर्चा कम आता है और एक-एक कर पशुओं को मशीन के पास दुहने के लिये लाया जाता है। ये मशीन 15 से 40 पशुओँ वाले Dairy Farm के लिए पर्याप्त है।

मशीन से भैंस का दूध दुहना भी आसान

रोविन कुमार ने बताया की गाय और भैंस दोनों के थनों में थोड़ा अंतर होता है, मशीन में थोड़ा सा बदलाव कर इससे भैंस का दूध भी आसानी से दुहा जा सकता है। भैंस का दूध निकालने के लिए मशीन के क्लस्टर बदलने होते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, बिहार में मिल्किंग मशीन का प्रचल तेजी से बढ़ता जा रहा है। और लोग पारंकपरिक तरीके के बजाए मशीन के जरिए दूध दुहने को तवज्जो दे रहे हैं।

उत्पादन ज्यादा और लागत कम

एक और अहम बात है मशीन द्वारा दूध दुहने से दूध की मात्रा में 10 से 15 फीसदी बढ़ोतरी हो जाती है। मशीन मिल्किंग द्वारा दूध की उत्पादन लागत में काफी कमी तो आती ही है, साथ-साथ समय की भी बचत होती है। यानी परेशानी भी कम और दूध भी ज्यादा। इसकी सहायता से पूर्ण दुग्ध-दोहन संभव है जबकि परम्परागत दोहन पद्धति में दूध की कुछ मात्रा अधिशेष रह जाती है। मशीन द्वारा लगभग 1.5 से 2.0 लीटर तक दूध प्रति मिनट दुहा जा सकता है. इसमें न केवल ऊर्जा की बचत होती है बल्कि स्वच्छ दुग्ध दोहन द्वारा उच्च गुणवत्ता का दूध मिलता है। इन मशीनों का रखरखाव भी बेहद सरल है, सालभर के मेंटिनेंस का खर्चा मात्र 300 रुपये आता है।

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मिल्किंग मशीनों पर मिलती है सब्सिडी

कई राज्य सरकार मिल्किंग मशीनों की खरीब पर सब्सिडी भी दे रही है और बैंकों से इन्हें खरीदने के लिए लोन भी मिल रहा है। पशुपालकों को इसके लिए अपने जिले के पशुपालन अधिकारी और बैंकों के कृषि और पशुपालन विभाग के अफसरों से संपर्क करना चाहिए।

मशीन से दूध दुहने के दौरान बरतें सावधानी

अगर पशु के पहले ब्यांत से ही मशीन से दूध निकालेंगे तो पशु को मशीन से दूध निकलवाने की आदत हो जाएगी। शुरुआत में मशीन द्वारा दूध दुहते समय पशु को पुचकारते हुए उस के शरीर पर हाथ घुमाते रहना चाहिए, ताकि वह अपनापन महसूस करे। दूध दुहने वाली मशीन को पशुओं के आसपास ही रखना चाहिए ताकि वे उसे देख कर उस के आदी हो जाएं, वरना वे अचानक मशीन देख कर घबरा सकते हैं या उसकी आवाज से बिदक सकते हैं।

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