डेयरी टुडे नेटवर्क
नई दिल्ली।
केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ.हर्षवर्धन की अध्यक्षता में बनी है कमेटी
कमेटी में केंद्र सरकार की विभिन्न विज्ञान संबंधी संस्थाओं के प्रमुख शामिल
भारत के विज्ञान एवं तकनीक मंत्रालय ने पंचगव्य के महत्व का अध्ययन करने के लिए “नेशनल स्टीयरिंग कमिटी” का गठन किया है। पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध, गाय के दूध की दही, गाय के दूध के घी, जल और तीन अन्य पदार्थों से बना मिश्रण होता है। इस कमेटी की अध्यक्षता केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन कर रहे हैं। कमेटी में केंद्र सरकार की विभिन्न विज्ञान संबंधी संस्थाओं के प्रमुख सदस्य के रूप में शामिल हैं। विज्ञान और तकनीक विभाग (डीएसटी) के अनुसार इस कमेटी का मकसद पंचगव्य पर “वैज्ञानिक पुष्टि और शोध” होगा।
यह कमिटी पंगगव्य से जुड़े रिसर्च प्रोजेक्ट का चयन, निर्देशन और समीक्षा करेगी। कमेटी रिसर्च से मिले नतीजों को व्यापक लाभ के लिए इस्तेमाल करने के लिए बजट भी उपलब्ध कराएगी। इस पहल से जुड़े वैज्ञानिकों और अधिकारियों के अनुसार आधुनिक तकनीक के प्रयोग से केला, गुड़ और नारियल की तरह परंपरागत भारतीय पंचगव्य के उपयोग की संभावनाओं पर शोध किया जाएगा।
दे टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार डीएसटी के तरफ से कमेटी के सदस्यों को भेजे गए नोट में इसे “मल्टी-डिसिप्लिनरी प्रोग्राम” बताया गया है। इसमें विभिन्न सरकारी संस्थानों और अकादमिक संस्थानों की भागीदारी होगी। इस नोट में कहा गया है कि इसका लक्ष्य “भारतीय गाय के वैज्ञानिक विलक्षणता की वैज्ञानिक पुष्टि” है।
रिपोर्ट के अनुसार डीएसटी ने अभी इस कार्यक्रम के लिए बजट का अनुमोदन नहीं किया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रस्तावों की “गुणवत्ता और विविधता” के आधार पर बजट दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में आईआईटी दिल्ली डीएसटी का साझीदार होगा। आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से बायोगैस निकालने और उसे बोतलबंद करने की तकनीक का पेटेंट कराया है।
डॉक्टर हर्षवर्धन के अलावा नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर एवं वैज्ञानिक विजय भाटकर, सीएसआईआर के पूर्व चेयरमैन रघुनाथ माशेलकर, नागपुर स्थित गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र के प्रमुख सुनील मानसिंगका इत्यादि भी इस कमेटी के सदस्य हैं।
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