डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 13 मार्च 2021,
देसी और भारतीय नस्ल की गायों के दूध को विदेशी ब्रीड की गायों के मिल्क की तुलना में बेहतर और गुणवत्तापूर्ण बताने वालों को जबरदस्त झटका लगा है। गाय के दूध में गोल्ड बताने वालों का मुंह भी अब बंद हो सकता है। क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि उसे देसी और विदेशी नस्ल के गायों के मिल्क के फर्क के बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 9 मार्च को लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए मत्स्य, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने एक लिखित जवाब में कहा, “आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विदेशी नस्ल की गायों और देसी गायों के दूध की गुणवत्ता में अंतर के बारे में कोई निर्णायक जानकारी उपलब्ध नहीं है।” बाल्यान वाईएसआर कांग्रेस के सांसद मगुन श्रीनिवासुलु रेड्डी के एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
आपको बता दें कि गाय के बारे में तमाम तरह की चर्चाएं आए दिन होती रहती हैं। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद गाय के नाम पर कई हत्याएं भीड़ द्वारा कर दी गईं। भाजपा व हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े लोग गाय के गोबर, यूरिन आदि को परमाणु अटैक से भी बचाने में कारगर बताते आए हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) ने भी लगातार कई दावे कर दिए। कामधेनु आयोग ‘कामधेनु गौ-विज्ञान प्रचार-प्रसार परीक्षा’ (राष्ट्रीय गाय विज्ञान परीक्षा) के पाठ्यक्रम का प्रभारी है।
पाठ्यक्रम में किए गए कई दावों के बीच एक ने कहा था कि भारतीय गाय के दूध की गुणवत्ता सबसे अच्छी है और यह “कई बीमारियों से लड़ने में शक्तिशाली” है। इसने आगे कहा कि जर्सी गायों का दूध “बिल्कुल अच्छा नहीं” था और इसमें “कैसोमोर्फिन नामक एक जहरीला रसायन होता है”। कामधेनु आयोग के अन्य दावों में कई बातें और भी शामिल थीं, जिनमें भारतीय गायों का दूध “थोड़ा पीला इसलिए होता है क्योंकि इसमें सोने के कण होते होते हैं” जो “जर्सी गाय” में नहीं होते हैं। एक और दावे में यह भी बताया गया था कि देसी गायों का दूध “मोटापा, जोड़ों का दर्द, दमा, मानसिक बीमारी” को ठीक कर सकता है, जबकि गायों की विदेशी नस्लों का दूध “मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग और अस्थमा” का कारण बन सकता है।
कामधेनु आयोग का विभाग केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत भी कार्य करता है। इसे फरवरी 2019 में केंद्र द्वारा स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य “गायों और उनके वंश की सुरक्षा, संरक्षण और विकास” है। गौरतलब है कि बीते 25 फरवरी को आयोजित होने वाली परीक्षा को स्थगित कर दिया गया था और इसकी कोई वैकल्पिक तिथि घोषित नहीं की गई थी। जनवरी 2021 में घोषित कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा एक घंटे की ऑनलाइन परीक्षा होनी थी, जिसमें 100 बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाने थे। यह एक वार्षिक परीक्षा है, जिसमें लिए कोई शुल्क नहीं था।
Note:– कृपया इस खबर को अपने दोस्तों और डेयरी बिजनेस, Dairy Farm व एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े लोगों के साथ शेयर जरूर करें..साथ ही डेयरी और कृषि क्षेत्र की हर हलचल से अपडेट रहने के लिए हमारे फेसबुक पेज https://www.facebook.co m/DAIRYTODAY/ पर लाइक अवश्य करें। हमें Twiter @DairyTodayIn पर Follow करें।
नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 20 नवंबर 2024, कर्नाटक का नंदिनी मिल्क ब्रांड…
डेयरी टुडे नेटवर्क, चंडीगढ़, 19 नवंबर 2024 पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य में डेयरी…
डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 6 नवंबर 2024, आज हम आपको अहमदाबाद के रहने वाले…
डेयरी टुडे नेटवर्क, करनाल, 5 नवंबर 2024, हरियाणा के करनाल के प्रगतिशील डेयरी किसान गुरमेश…
नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली/लखनऊ, 26 अक्टूबर 2024 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी…
नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2024, देश में त्योहारी सीजन चल…
View Comments
अगर आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के पास विदेशी नस्ल की गायों और देसी गायों के दूध की गुणवत्ता में अंतर के बारे में कोई निर्णायक जानकारी उपलब्ध नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं है कि विदेशी गायों का दूध उत्तम है। इसका मतलब है कि आईसीएआर को अभी और रिसर्च करने की आवश्यकता है।
दूध हमेशा से भारतीय गायों का ही उत्तम रहा है और रहेगा।