डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 13 सितंबर 2018,
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने गुरुवार को डेयरी प्रसंस्करण और आधारभूत ढांचा विकास कोष (डीआईडीएफ) की ओर से एनडीडीबी को 440 करोड़ रुपये का चेक सौंपा। इस तरह इस कोष की औपचारिक शुरूआत हो गयी है। इसकी स्थापना डेयरी सहकारी समितियों की क्षमता का आधुनिकीकरण करने और उसे बढ़ाने के लिए सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना है। नाबार्ड ने सहकारी समितियों के माध्यम से और डेयरी का काम करने वाले ज्यादा से ज्यादा किसानों को संगठित दूध विपणन क्षेत्र में लाने के लिए 8,004 करोड़ रुपये के कोष के साथ डीआईडीएफ की स्थापना की है। इस फंड राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के माध्यम से लागू किया गया है। सिंह ने एनडीडीबी के अध्यक्ष दिलीप रथ को पहली किश्त के रूप में 440 करोड़ रुपये के चेक सौंपकर औपचारिक रूप से इस कोष की शुरुआत की। इसके तहत डेयरी सहकारी समितियों को प्रति वर्ष 6.5 प्रतिशत की ब्याज दर पर वित्त पोषण की सहायता दी जाती है जो उन्हें 10 वर्षों की अवधि में लौटाना होता है।
इस निधि के बारे में बोलते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने अभी तक कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा में डेयरी सहकारी समितियों के लिए 1,148.61 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 15 परियोजनाओं के लिए डीआईडीएफ के तहत 843.81 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है। इनमें से छह दूध संघों के लिए एनडीडीबी को 440 करोड़ रुपये का चेक सौंपा गया। श्री सिंह ने कहा कि डीआईडीएफ का उद्देश्य प्रति दिन 126 लाख लीटर अतिरिक्त दूध प्रसंस्करण क्षमता, प्रति दिन 21 करोड़ टन की दूध सुखाने की क्षमता और 140 लाख लीटर प्रतिदिन दूध को ठंडा करने की क्षमता बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, “इस कोष से करीब 50,000 गांवों में 95 लाख किसानों को लाभ होगा। कई कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल श्रमिकों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।”
सहकारी डेयरी में खराब बुनियादी ढांचे पर चिंता व्यक्त करते हुए एनडीडीबी के अध्यक्ष दिलीप रथ ने कहा कि यह कोष उन्हें बड़े पैमाने पर प्रसंस्करण क्षमता का आधुनिकीकरण और विस्तार करने की दिशा में लाभान्वित करेगा। हालांकि, उन्होंने डीआईडीएफ से ऋण लेने वाले दूध संघों को समय पर परियोजनाओं को पूरा करने के प्रति आगाह किया और उन्हें कम लागत पर चलाने और बेहतर रिटर्न पाने के लिए विपणन और विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने को कहा। उन्होंने कहा, “हमें अगले दो वर्षों में 8,004 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर करना है। मुझे यकीन है कि हम लक्ष्य हासिल करेंगे।”
नाबार्ड के चेयरमैन एच के भंवर ने कहा, “हमने इस फंड से 440 करोड़ रुपये दिए हैं। पहला अदायगी का काम एनडीडीबी को की गई है, जो आगे कर्नाटक और पंजाब में 6 दूध संघों को दिया जायेगा।’’ गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ लिमिटेड (जीसीएमएमएफएल) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा कि उनकी सहकारी संस्था भी, डीआईडीएफ से ऋण मांगने के लिए प्रस्ताव भेजेगी क्योंकि उसकी अगले 10 वर्षो में दिन 3.6 करोड़ लीटर प्रतिदिन की क्षमता को बढ़कर 8 करोड़ लीटर प्रति दिन करने की योजना है। मौजूदा समय में, देश में डेयरी प्रसंस्करण क्षमता (दोनों सहकारी और निजी क्षेत्रों) प्रतिदिन 9 करोड़ लीटर की है। इनमें से, जीसीएमएमएफएल की अकेले की 3.6 करोड़ लीटर प्रति दिन प्रसंस्करण करने की क्षमता है।
जाहिर है कि भारत 17 करोड़ 63.5 लाख टन के अनुमानित उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। विजन 2022 दस्तावेज के अनुसार देश का दूध उत्पादन 25.45 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। आयोजन में वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ला, कृषि राज्य मंत्री कृष्णा राज और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
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