डेयरी टुडे डेस्क,
नई दिल्ली, 10 जुलाई 2019,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के एजेंडा में किसानों की इनकम दोगुनी करना सबसे ऊपर है। और अब किसानों से जुड़े मोदी सरकार के एजेंडे को जमीन पर उतारने के लिए कृषि मंत्रालय जुट गया है. देश के किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की रणनीति के तहत सभी संभव उपायों की तलाश के लिए कृषि मंत्रालय ने कवायद शुरू कर दी है. कृषि क्षेत्र में 25 लाख करोड़ के भारी भरकम निवेश से तस्वीर बदलने की लकीर खींची गई है और साथ ही इस दिशा में राज्यवार रणनीति बनाने पर भी काम शुरू हो गया है. आज तक की खबर के अनुसार मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट के फौरन बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में सोमवार को बुलाई गई राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक दिल्ली में की गई. इस दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की आय बढ़ाने के अभियान में राज्यों का सक्रिय सहयोग मांगते हुए 10 सूत्रीय रुप रेखा बनाई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की दशा सुधारने के लिए ‘पीएम किसान सम्मान निधि’ योजना का आरंभ चुनाव से पहले ही कर दिया था. इसके तहत किसानों को खेती के लिए सालाना 6 हजार रुपए को तीन किस्तों में दिया जा रहा है. किसानों को पहली किस्त मिल चुकी है. देश के सभी 14.5 करोड़ किसान परिवारों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभी तक सरकार महज साढ़े तीन करोड़ किसानों तक ही इसका लाभ पहुंचा सकी है. ऐसे में बाकी बचे किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में जीरो फार्मिंग के जरिए पारंपरिक और मूलभूत तरीके पर लौटने पर जोर दिया गया. इसीलिए सम्मेलन में सबसे ज्यादा फोकस इसी पर रहा. जीरो बजट फार्मिंग में किसान जो भी फसल उगाएं उसमें फर्टिलाइजर, कीटनाशकों के बजाय किसान प्राकृतिक खेती करें. इसमें रासायनिक खाद के स्थान पर गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़ और मिटटी से बने खाद का इस्तेमाल किया जाए. किसानों को जीरो बजट फार्मिंग की तरफ ले जाने के लिए कई तरह की सहायता देने की बात कही गई है.
हर साल प्राकृतिक आपदा के चलते भारत में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश से उनकी फसल खराब हो जाती है. उन्हें ऐसे संकट से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है. ऐसे में देश के सभी किसानों तक इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, लेकिन राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मलेन में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि इस योजना का जिस तरह से लाभ किसानों को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है.
मोदी सरकार कृषि मंडी सुधार के जरिए किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करना चाहती है. राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मलेन में केंद्रीय मंत्री ने मंडी सुधार के लिए राज्य सरकारों से सहयोग की मांग की, क्योंकि इस काम को राज्य रकार ही अंजाम दे सकती है. मोदी सरकार 2.0 ने अपने बजट में 10 हजार नए कृषि उत्पादक संगठन बनाने की बात कही है.
मोदी सरकार किसान क्रेडिट कार्ड से देश भर के किसानों को जोड़ने की दिशा में जोर दिया है. सरकार खेती के साथ डेयरी क्षेत्र और मात्स्यिकी पर जोर देते हुए उसे किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में शामिल कर रही है ताकि किसानों को साहूकारों के आगे हाथ पसारने को विवश न होना पड़े. सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 4 फीसदी ब्याज पर तीन लाख तक का लोन देती है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत सुस्थिर आधार पर गेहूं, चावल और दलहन की उत्पादकता में वृद्धि लाना ताकि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके. दो करोड़ किसानों को डिजिटल साक्षरता, दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता के साथ क्लस्टरों की स्थापना की पहल भी की गई है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यों से आए कृषि मंत्रियों से कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को लेकर रुचि दिखाएं और राज्य सरकारें इस दिशा में कदम बढ़ाएं. इस दौरान कृषि मंत्री ने कॉन्ट्रैक्ट खेती के मामलों को भी प्रोत्साहन देने की बात कही, लेकिन राज्यों के कृषि मंत्री अपनी ओर से इस दिशा में हाथ डालने से कतरा रहे हैं. दरअसल, कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग में किसान अपनी जमीन पर खेती तो करता है, लेकिन अपने लिए नहीं बल्कि किसी कॉरपोरेट या मल्टीनेशनल कंपनी के लिए. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान को पैसा नहीं खर्च करना पड़ता.
केंद्र सरकार ने कृषि पर आयात और निर्यात में नीतियां बनाने की बात कही है. सरकार ने इसके जरिए किसानों की फसलों को निर्यात कर उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की बात कही है, लेकिन सवाल है कि किसान आज भी अपनी फसल को सरकारी ब्रिकी केंद्र पर बेचने के बजाय आढ़तियों के हाथ बेचता है.
मोदी सरकार ने बजट में घोषणा की है कि देश के अन्नदाता को ऊजार्दाता बनाने के लिए योजनाएं शुरू की जाएंगी. इस बात को राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में भी जोर दिया गया है कि राज्य सरकारें इस दिशा में प्लान बनाएं कि किसानों को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए और कृषि संसाधनों के जरिए वे ऊर्जादाता बनें. इसमें सोलर पंप से जहां वो अपनी खेती करने के साथ-साथ जो बिजली उत्पादन करेंगे, उसका उन्हें लाभ मिलेगा. कृषि से संबधित ग्रामीण उद्योग में 75 हजार नये उद्यमी तैयार करने की योजना है.
किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ मोदी सरकार कृषि एवं संबद्ध कृषि क्षेत्र के बुनियादी ढांचा के विकास में काफी बड़ा निवेश करेगी एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर निजी उद्यमियों को बढ़ावा देगी. केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट में कहा था कि ‘कारोबार सुगमता’ एवं ‘जीवन सुगमता’ किसानों पर भी लागू होना चाहिए. इसके लिए हम कृषि अवसंरचना में काफी अधिक निवेश करेंगे.
(साभार- आज तक)
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