डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 30 जून 2019,
फसलों की तरह ही डेयरी किसान काफी समय से दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी घोषित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें दुग्ध उत्पादन पर एक न्यूनतम राशि हासिल हो सके। लेकिन किसानों की हितैषी होने का दावा करने वाली केंद्र सरकार को डेयरी किसानों की इस समस्या से कोई मतलब नहीं है। देश में पानी के मोल दूध बिक रहा है, लेकिन मोदी सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है। शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में मोदी सरकार में पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान ने कहा कि देश में दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि क्योंकि दूध एक बहुत जल्दी खराब होने वाला उत्पाद है, इसलिए इसका एमएसपी घोषित करना संभव नहीं है।
पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान ने राज्यसभा को लिखित जवाब में कहा, “देश में दूध की कीमतों को नियंत्रित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है और यह विभाग का काम नहीं है। दूध के दाम सहकारी और निजी डेयरियों की तरफ से उत्पादन लागत के आधार पर तय किए जाते हैं। दूध एक जल्दी खराब होने वाला उत्पाद है, इसलिए देश में दूध के लिए एमएसपी तय करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।”
श्री बालियान ने कहा कि दूध के उत्पादन में भारत आगे आया है, क्योंकि दूध का उत्पादन हर साल बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान उत्पादन 176.35 मिलियन टन था।
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मिल्क का एमएसपी संभव है, लेकिन मोदी सरकार dairy किसानों का भला नहीं चाहती है ।
सरकार दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने को तैयार नहीं है, पढ़िए पूरी खबर और दीजिए अपनी राय, क्या आप मोदी सरकार के तर्क से सहमत हैं? क्या दूध का MSP घोषित करना असंभव है? http://www.dairytoday.in पर अपनी राय अवश्य दें….