नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2024,
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने शुक्रवार को 21वीं पशुधन-गणना की शुरुआत की है। इस अवसर पर, महामारी की तैयारी और भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ‘महामारी निधि परियोजना’ भी शुरू की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सटीक डाटा की उपलब्धता से सरकार को पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और पशुपालन क्षेत्र में उच्च विकास हासिल करने के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
The Pandemic Fund Project to Strengthen Animal Health Security in India & 21st Livestock Census operation was launched on 25th October 2024 at the Hotel Leela Ambience Convention, Delhi, with the lighting of the lamp by Shri Rajiv Ranjan Singh alias Lalan Singh, Hon'ble Union… pic.twitter.com/ueYqfQ3cpn
— Dept of Animal Husbandry & Dairying, Min of FAH&D (@Dept_of_AHD) October 25, 2024
अक्तूबर से अगले साल फरवरी तक चलेगी पशुधन-गणना
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अगले साल फरवरी तक चलने वाली इस पशुधन-गणना पर केंद्र सरकार 200 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जिसकी लागत पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी। 21वीं पशुधन जनगणना अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के दौरान आयोजित की जाएगी। राजीव रंजन सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित लॉन्चिंग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, इस पशुधन जनगणना को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ आयोजित करने पर जोर दिया है। उन्होंने अपने मंत्रालय के अधिकारियों से इस जनगणना अभियान की नियमित रूप से निगरानी करने को भी कहा है। उन्होंने बताया कि जनगणना की रिपोर्ट अगले साल आएगी।
#Live: Launch of Pandemic Fund Project & 21st Livestock Census. https://t.co/yWWBWPsOBy
— Rajiv Ranjan (Lalan) Singh (@LalanSingh_1) October 25, 2024
16 प्रजातियों की 219 नस्लों के आंकड़े किए जाएंगे एकत्र
अखिल भारतीय स्तर पर, लगभग एक लाख क्षेत्रीय अधिकारी जो ज्यादातर पशु चिकित्सक या पैरा-पशु चिकित्सक हैं, गणना प्रक्रिया में शामिल होंगे। गणना में 16 प्रजातियों की 219 देशी नस्लों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। जनगणना में पशुधन की प्रजातियों – मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, ऊँट, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, कुत्ता, खरगोश और हाथी – पर डेटा एकत्र किया जाएगा। पशुधन के अलावा, पोल्ट्री पक्षियों – मुर्गी, बत्तख, टर्की, गीज़, बटेर, गिनी मुर्गी, शुतुरमुर्ग और एमु की गिनती भी प्रत्येक परिवार, घरेलू या गैर-घरेलू उद्यमों और संस्थाओं से की जाएगी। इन प्रजातियों को ICAR-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
Smt. Alka Upadhyaya, Secretary of DAHD, delivered key remarks at the launch of "The Pandemic Fund Project," designed to bolster animal health security and the “ 21st livestock census operation” at the Hotel Leela Ambience Convention in Delhi. She emphasized “We are embarking on a… pic.twitter.com/lG1SMHRUFP
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1919 से हर पांच साल में आयोजित हो रही पशुधन गणना
पशुधन जनगणना एक महत्वपूर्ण गतिविधि है, जो 1919 से हर पांच साल में आयोजित की जाती है। नीति निर्माण और पशुपालन क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में यह अहम भूमिका निभाती है। जनगणना में व्यापक डोर-टू-डोर सर्वेक्षण शामिल है, जो पूरे देश में पालतू जानवरों और पक्षियों पर विस्तृत डाटा एकत्र करता है। अब तक 20 पशुधन जनगणनाएं की जा चुकी हैं और पिछली जनगणना 2019 में हुई थी।
Launch of ' animal health security strengthening in india for pandemic preparedness and response ' initiative and 21st livestock census . pic.twitter.com/Uzu4ExveRJ
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डाटा संग्रह के लिए मोबाइल तकनीक का उपयोग
नवीनतम जनगणना में डाटा संग्रह और प्रसारण के लिए मोबाइल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इससे देश के सभी गांवों और शहरी वार्डों में डाटा संग्रह की सटीकता और दक्षता में वृद्धि होने की उम्मीद है। विशेष रूप से, यह देश की पहली जनगणना होगी, जिसमें पशुपालकों द्वारा पशुधन रखने के बारे में डाटा स्वतंत्र रूप से उपलब्ध होगा।
प्रोफेसर एस. पी. सिंह बघेल, माननीय राज्य मंत्री, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी, भारत सरकार, ने पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इस महामारी निधि परियोजना का शुभारंभ सही समय पर हुआ है। पशुधन भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, और यह… pic.twitter.com/9JkIYqlwDM
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यह पशुधन जनगणना “पशुपालन में मुख्य रूप से शामिल व्यक्ति के लिंग” के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएगी। केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक होने के बावजूद, भारत दूध और अन्य डेयरी उत्पादों का बड़े पैमाने पर निर्यात नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि जनगणना से पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी, जिससे निर्यात में वृद्धि होगी।
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