केंद्र सरकार ने डेयरी प्रोसेसिंग के लिए पहली बार 8 हजार करोड़ का कोष बनाया

डेयरी टुडे नेटवर्क
हिसार, 2 फरवरी 2017,

नाबार्ड के चेयरमैन डा. हर्ष कुमार भनवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने डेयरी प्रोसेसिंग के लिए नाबार्ड के माध्यम से 8000 करोड़ रुपये का कोष सृजित करने की पहल की है। डेयरी क्षेत्र के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए यह किसी सरकार द्वारा अब तक किया गया सबसे महत्वपूर्ण फैसला है। डा. भनवाला गुरुवार को केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान द्वारा सिरसा रोड स्थित एक होटल में आयोजित 9वीं एशियन बफेलो कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। सु²ढ़ आजीविका के लिए जलवायु अनुकूलित भैंस उत्पत्ति विषय पर आयोजित यह सम्मेलन 4 फरवरी तक चलेगा। सम्मेलन में 50 देशों के 150 विदेशी तथा 400 भारतीय प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

नाबार्ड चेयरमैन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते भैंस पालन कई प्रकार के दबावों से गुजर रहा है। इससे उनका उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। जलवायु परिवर्तन के चलते वर्तमान उत्पादन पद्धतियां कम लाभ देंगी और इससे किसानों की आय में कमी होने की आशंका है। निरंतर बढ़ती जनसंख्या की दुग्ध व मीट जरूरतों की पूर्ति के लिए इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वैज्ञानिकों को इस दिशा में शोध कार्यो में तेजी लानी होगी। उन्होंने कहा कि वि‌र्श्व का 30 प्रतिशत दूध उत्पादन व 36 प्रतिशत मीट उत्पादन भैंस से मिलता है। इसके मद्देनजर डेयरी आधारित किसानों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाना समय की मांग है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने नाबार्ड के माध्यम से 8 हजार करोड़ रुपये का फंड डेयरी प्रोसे¨सग को बढ़ावा देने के लिए सृजित किया है जिससे दूध उत्पादन में बढ़ावा होगा व डेयरी के आधारभूत ढांचे को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार देश की दुग्ध जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयुक्त कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन भारत में 69 प्रतिशत किसानों का द्वितीय व्यवसाय है जो सकल आय में एक-तिहाई योगदान देता है। ग्रामीण परिवारों और भूमिहीन परिवारों की सकल आय का आधा हिस्सा दूध व्यवसाय से आता है। इसके अलावा कृषि जीडीपी का एक-चौथाई हिस्सा पशुधन क्षेत्र से आता है और इस क्षेत्र को ग्रामीण इलाकों में सूखे से बचाव का एक प्रभावी उपाय भी माना जाता है।

बुल्गारिया प्रतिनिधिमंडल ने भारत में भैंस की मुर्राह नस्ल की विशेष सराहना करते हुए विशेष मोमेंटो भेंट किया। भैंस अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. इंद्रजीत ¨सह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न भेंट किया। इस अवसर पर डा.एसके रंजन, डा. जेके जैना, डा. सतबीर ¨सह, डा. एसएस होनापागोल, हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डा. आरके यादव, लुवास के कुलपति डा. गुरदियाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
साभार-(दैनिक जागरण)

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