डेयरी टुडे नेटवर्क,
मेरठ, 11 अक्टूबर 2017,
दीपावली के मौके पर उत्तर भारत के तमाम राज्यों में मिलावटी दूध, मावा, पनीर और देसी घी धड़ल्ले से बनाया जा रहा है। डेयरी टुडे लगातार इस तरह की खबरें दिखा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नकली दूध और मावा तैयार करने का गढ़ माना जाता है। क्योंकि यहां से दिल्ली से नजदीक है और त्योहार के मौके पर हजारों क्विंटल नकली मावा और पनीर यहां आसानी से बेच दिया जाता है। मीडिया में भी इस तरह की खबरें लगातार दिखाई जा रही हैं। आज उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में फ़ूड विभाग की टीम ने मिलावटखोरों पर बड़ी कार्रवाई की है। मेरठ सरधना क्षेत्र के नई बस्ती में फूड विभाग की टीम ने भारी मात्रा में नकली मावा बरामद किया है।
मेरठ के सरधना क्षेत्र की फैक्ट्री में पॉम आयल, मिल्क पाउडर, रिफाइंड, रंग मिलाकर नकली मावा तैयार किया जा रहा था। फूड विभाग की टीम ने यहां से भारी मात्रा में तैयार नकली मावा और उसे बनाने की सामग्री को कब्जे में ले लिया गया है। टीम ने सभी सामग्री का सैम्पल लेने के साथ कच्चे माल को सील करने के साथ-साथ तैयार माल को भी जमीन में दबा कर नष्ट कर दिया है।
खोया भट्टी पर छापा मारकर फूड विभाग ने 150 किलो खोया, 2025 किलो स्टार्च, 2125 किलो स्किम्ड मिल्क पाउडर और 1110 किलोरिफाइंड सीज किया। 10 अक्टूबर को मेरठ के सरधना में तीन खोया भट्टियों पर छापा मारा गया था। इसमें 250 किलो नकली खोया, 150 लीटर वनस्पति और 85 किलो स्किम्ड मिल्क पाउडर सीज किया है। फूड विभाग ने माल के नौ सैंपल भी लिए हैं।
दरअसल दीपावली के मौके पर दूध और उससे बने उत्पादों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। जबकि दूध का उत्पादन उतना ही रहता है। ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए नकली दूध का कारोबार धड़ल्ले से शुरु हो जाता है। देखने में मिठाईयां बिलकुल असली जैसी होती हैं। हालात यह हैं कि खुद केंद्र सरकार कह चुकी है कि मिलावट खतरनाक स्तर पर हो रही है। पिछले साल ही सरकार ने कहा था कि देश में तीन में से दो लोग नकली और मिलावटी दूध पी रहे हैं।
दूध- दूध की बूंद फर्श की चिकनी सतह पर गिराने पर धीरे-धीरे बहे और सफेद निशान छोड़े तो वह शुद्ध है। असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर चिकनाहट महसूस नहीं होती। दूध पीने में कड़वा लगे तो यह समझना चाहिए कि वह सिंथेटिक है। सिंथेटिक दूध पीला रंग छोड़ता है।
खोवा- नकली मावा की जांच के लिए टिंचर आयोडीन की पांच से छह बूंद और पांच से सात दाने शक्कर लेकर गर्म करें। यदि मावा नकली होगा तो काले रंग में बदलने लगेगा। यह संभव नहीं है तो फिर आप मावा लेते वक्त उंगलियों से मसलकर देखें, अगर यह दानेदार है तो यह मिलावटी हो सकता है।
पनीर- पनीर में मिलावट का पता आसानी से नहीं चल पाता है इसलिए सबसे पहले पनीर को पानी में उबाल कर ठंडा कर लेना चाहिए। इसके बाद इसमें कुछ बूंद आयोडीन टिंचर की डालें। अगर पनीर का रंग नीला हो जाता है तो वह सिंथेटिक है।
घी- देसी घी खाने पर सीधा गले में उतर जाए तो वह असली है अगर यही घी चिपकने लगे या गले में खरास पैदा करे तो वह सिंथेटिक है। गर्म घी को करीब चौबीस घंटे के लिए बर्तन में ढंककर रख दें। यदि घी दानेदार हो जाता है तो शुद्ध है।
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