Niti Ayog Report: डेयरी एक्सपोर्ट बढ़ाना है तो आयातित उत्पादों से करना होगा मुकाबला

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 9 मई 2023,

कुछ दिनों पहले तक देश में दूध की कमी की बात भले ही आई हो लेकिन उससे उबरते नीति आयोग का मानना है कि वर्ष 2047 तक के अमृत काल में भारत डेयरी उत्पादों का बड़ा निर्यातक बन सकता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को आयातित डेयरी उत्पादों से मुकाबले के लिए खुद को तैयार करना होगा। तभी भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ा निर्यातक बन सकेगा।

वर्ष 1996-97 से लेकर वर्ष 2021-22 के दौरान दूध का उत्पादन प्रति व्यक्ति सालाना 71.5 किलोग्राम से बढ़कर प्रति व्यक्ति सालाना 154.9 किलोग्राम हो गया, लेकिन दूध के वैश्विक निर्यात में भारत में हिस्सेदारी सिर्फ 0.62 फीसद है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत का डेयरी उद्योग डेयरी उत्पादों को मुक्त व्यापार समझौता में शामिल करने का लगातार विरोध करता रहा है, लेकिन भविष्य में अगर दूध को विदेशी बाजार में भेजना है तो हमें भी निर्यात बाजार में मुकाबले के लायक बनना होगा।

यह तभी संभव है जब हमें आयातित माल से मुकाबले में कोई डर नहीं होगा। पिछले साल भारत ने आस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया, लेकिन इस समझौते में दूध व दुग्ध उत्पादों को शामिल नहीं किया गया। देश में पशुओं की संख्या को देखते हुए दूध के उत्पादन में सालाना छह फीसद की दर से बढ़ोतरी की संभावना है।

वर्ष 2018-19 में ही भारत में रोजाना प्रति व्यक्ति दूध की खपत का स्तर 387 ग्राम तक पहुंच गया था। भारत दुनिया की एक चौथाई दूध का उत्पादन करता है, लेकिन वर्ष 2021 में भारत ने सिर्फ 39 करोड़ डॉलर डेयरी उत्पादों का निर्यात किया, जबकि इस अवधि में वैश्विक स्तर पर 63 अरब डॉलर का डेयरी निर्यात रहा।आयोग का मानना है कि निर्यात बढ़ने से कृषि सेक्टर में निर्भर लोगों की आय भी बढ़ेगी।

देश में कृषि व संबंधित उत्पादन में 25 फीसद हिस्सेदारी डेयरी सेक्टर की है, लेकिन कृषि व संबंधित निर्यात में डेयरी सेक्टर की हिस्सेदारी सिर्फ 2.6 फीसद है।रिपोर्ट में कहा गया है कि डेयरी उद्योग ने उपभोक्ता की पसंद के हिसाब से खुद को विकसित नहीं किया है। शहर में रहने वाले कई उपभोक्ता ताजा या बिना प्रोसेस्ड दूध लेना चाहते हैं।

कुछ लोग सिर्फ गाय का दूध लेना चाहते हैं। इस प्रकार की मांग को पूरा करने के लिए डेयरी उद्योग को वैल्यू चेन विकसित करने की जरूरत है। अभी दूध की कीमत दूध में मौजूद वसा के आधार तय की जाती है। कीमत तय करने के दूसरे आधार को भी विकसित किया जा सकता है।

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