पटना, 31 जुलाई 2017,
चार वर्षों के बाद आखिरकार नीतीश कुमार ने स्वीकारा कर लिया कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबला करने वाला कोई नेता नहीं है और 2019 में मोदी एक बार फिर जीतेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि राजद के साथ बने महागठबंधन की सरकार में गवर्नेंस के मामले में थोड़ी दिक्कत होती थी। उपराष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर नीतीश ने कहा कि वह गोपाल कृष्ण गांधी को समर्थन देने का वचन दे चुका हूं और उनकी पार्टी इस पर कायम है।
महागठबंधन टूटने के मुद्दे पर सफाई देते हुए सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। महागठबंधन बचाने की उन्होंने पूरी कोशिश की। सत्र के कारण और वक्त देना संभव नहीं था। जो हालात बन गए थे उसमें सब कुछ अचानक और तुरंत करना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘मैंने 20 महीने महागठबंधन की सरकार चलाई। आप सरकार के काम की व्याख्या कर लीजिए। काम करने में हमने कोई कोताही नहीं बरती। भ्रष्टाचार से समझौता के लिए पार्टी कभी तैयार नहीं थी। आम जनता के बीच उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए था, लेकिन सफाई देने के बदले वे उचित समय और उचित जगह पर बात रखने की बात करने लगे।’ उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद से कई बार बात हुई। फिर राजद की तरफ से कई बयान दिए गए जो गठबंधन धर्म के खिलाफ थे। जदयू की ओर से लालू प्रसाद के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया गया।
किसी परिवार की सेवा के लिए नहीं था महागठबंधन
पत्रकारों से बात करते हुए कुमार ने कहा, ‘मैं काम में यकीन करता हूं। समाज के हर तबके के लिए काम करता हूं। अगर मैं भ्रष्टाचार से समझौता करता तो हो सकता था कि आप मेरे ऊपर और हमला करते। हमने जो भी निर्णय लिया वह बिहार के हित में लिया। बिहार की सेवा करना राष्ट्रीय कर्तव्य है। जो ये कहते हैं कि मैं धारा बदलता हूं तो मेरी राजनीति राज्य हित पर आधारित है और परिस्थिति के हिसाब से मैं कदम उठाता हूं।’
नीतीश कुमार ने कहा कि महागठबंधन किसी की खिदमत करने के लिए नहीं बनाया गया था। जदयू के समर्थकों ने आंख बंद कर राजद का समर्थन किया, लेकिन लालू प्रसाद यादव ऐसा नहीं करा पाए। कुमार ने कहा कि लालू प्रसाद को वह सत्ता में वापस लाए थे, राजद के कारण वह मुख्यमंत्री नहीं बने थे। नीतीश ने कहा कि महागठबंधन की जीत उनके चेहरे के कारण हुई थी।
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