डेयरी टुडे नेटवर्क,
वाराणसी, 19 अगस्त 2021,
उत्तर प्रदेश की प्रादेशिक कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड (पीसीडीएफ) द्वारा संचालित पराग डेयरी का संचालन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंप दिया गया है। मंगलवार को वाराणसी के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में पराग डेयरी प्लांट का संचालन एनडीडीबी को देने पर सहमति बन गई। माना जा रहा है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद बोर्ड इस आटोमेटेड प्लांट का महाराष्ट्र और गुजरात के प्लांटों की तर्ज पर पूरी क्षमता से संचालन करने लगेगा। आपको बता दें कि अभी चार लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता के प्लांट में साधन-संसाधन होने के बाद भी 25 हजार लीटर दूध की ही प्रोसेसिंग हो रही है।
प्रादेशिक कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड (पीसीडीएफ) द्वारा संचालित डेयरी 1978 में स्थापित की गई। इस प्लांट को जुलाई 2019 में आटोमेटेड किया गया। इसके बाद भी कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए पूरी क्षमता से काम नहीं हो रहा था। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के नियंत्रण में आने के बाद डेयरी के पूर्ण क्षमता में संचालित करने की उम्मीद है। इस लिहाज से बोर्ड इसे विकसित करेगा। माना जा रहा है कि किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है ताकि पशुपालन को बढ़ावा मिल सके।
एनडीडीबी को संचालन के लिए भले ही प्लांट मिलने जा रहा हो, लेकिन पूरी क्षमता से संचालन करते हुए पुरुना रुतबा लौटाने के लिए तत्काल खाली पदों पर तैनाती करनी होगी। हालांकि शेष कर्मचारी पूर्ववत काम करते रहेंगे। दूध की भरपूर मात्रा संग्रह कर के सिस्टम चलाना होगा। टैंकर की व्यवस्था करनी होगी। तापमान नियंत्रित करने के लिए बड़ी मात्रा में कूलर लगाने होंगे। डेयरी से दूरी बना चुके मिल्क पार्लर व बूथ के साथ ही एजेंट जोड़ने होंगे और उनकी संख्या भी बढ़ानी होगी। बोर्ड पांच साल तक माडल प्लांट के रूप में संचालित करेगा। कर्मियों का वेतन भी देगा और इसमें से लाभांश लेगा।
पराग डेयरी में तैनात तमाम कर्मचारी पांचवें वेतनमान के साथ सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वेतन बढ़ना तो दूर पदोन्नति तक नहीं हो रही है। हां, जिम्मेदारियां जरूर बढ़ती रहीं। कर्मचारियों के फायदे की नीतियां तक लागू नहीं हुईं। वर्ष 2007-8 में ही बैकलाग से रिक्तियां भरी गईं, लेकिन नई भर्ती बंद है। तकनीकी स्टाफ का अभाव है। सिर्फ काम चलाया जा रहा है। इससे प्लांट का खर्च बढ़ गया है।
पराग डेयरी प्लांट में वाराणसी समेत छह जिलों से दूध आता है। इसके लिए 424 दुग्ध समितियां काम कर रही हैं। इसमें वाराणसी में 2500 लीटर, गाजीपुर से 1500 लीटर, चंदौली से 8000 लीटर, जौनपुर से 1500 लीटर, भदोही से 300 लीटर व मीरजापुर के चुनार से 1000 लीटर संग्रह किया जाता है।
पराग डेयरी के जीएम डॉ. ए के शर्मा के मुताबिक डेयरी की जरूरतों को लेकर पूरा प्रयास किया गया। कर्मियों व किसानों के हितों का भी ध्यान रखा गया। दूध के संग्रहण और उसकी बिक्री को लेकर भी सक्रियता बनाई रखी गई। संसाधन के सापेक्ष पूरी क्षमता से संचालन का प्रयास किया गया है।
(साभार-दैनिक जागरण)
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