पशुओं की खरीद-बिक्री बंद होने से रोजगार होगा प्रभावित

पशुओं की खरीद-बिक्री बंद होने से रोजगार होगा प्रभावितसभार-जागरण.कॉम

गोहाना, 17 जून। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में सैकड़ों परिवार छोटी व बड़ी पशु डेयरी चलाकर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहे हैं। डेयरी उद्योग से जहां सैकड़ों परिवारों का खर्च चल रहा है वहीं इसी व्यवसाय पर हजारों श्रमिकों का परिवार भी निर्भर हैं। कुछ किसानों की भी डेयरियों से आय होती है। डेयरी संचालकों का कहना है कि अगर सरकार ने पशुओं की खरीद व बिक्री पर प्रतिबंध लगाया तो क्षेत्र में सैकड़ों परिवार आर्थिक बदहाली के शिकार हो जाएंगे और हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा।

शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में छोटी व बड़ी सैकड़ों डेयरियां चल रही हैं। शहर के देवीपुरा में दल ¨सह का परिवार तीन पीढि़यों से डेयरी का व्यवसाय कर रहा है। दल ¨सह की डेयरी क्षेत्र की प्रमुख डेयरियों में से एक है। उनके दादा मौजी ¨सह ने 1960 में डेयरी का काम शुरू किया था। इसके बाद मौजी ¨सह के बेटे पृथी ¨सह ने इस व्यवसाय को आगे बढ़ाया। अब पृथी ¨सह के बेटे दल ¨सह व दलबीर ¨सह इस व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं। दल ¨सह बताते हैं कि डेयरी से जहां उनके परिवार का खर्च चल रहा है, वहीं 25 लोगों के परिवारों का पेट पल रहा है। डेयरियों से शहर के आसपास के किसानों का भी काम चल रहा है। किसान पशु चारा उगाते हैं और डेयरी संचालक उसे अच्छे भाव में खरीदते हैं।

दल ¨सह का कहना है कि अगर सरकार पशुओं की खरीद व बिक्री पर प्रतिबंध लगा देगी तो क्षेत्र के सैकड़ों डेयरी संचालकों के परिवार और इस व्यवसाय से जुड़े हजारों श्रमिकों के परिवारों के सामने भुखमरी की नौबत आ जाएगी। जो परिवार कई दशकों से इस व्यवसाय से जुड़े हैं उनके सामने तो रोजगार का कोई दूसरा विकल्प तक नहीं है। दल ¨सह अपनी डेयरी में बूढ़ी भैंसों की सेवा भी करते हैं। वह बताते हैं कि आज तक कटड़े को किसी फेरी वालों को नहीं बेचा है। कटड़े बड़े होने पर क्षेत्र के पशुपालक ही ले जाते हैं।

बस स्टैंड के निकट डेयरी संचालक राजेश का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में 70 फीसद लोग पशुपालन करते हैं। जिन किसानों के पास खेती के लिए कम जमीन है वह दो या तीन भैंस पालकर काम चलाते हैं। सरकार ने अगर प्रतिबंध लगाया तो हजारों परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे।

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