डेयरी टुडे नेटवर्क,
शिकोहाबाद(फिरोजाबाद), 28 सितंबर 2017,
शिकोहाबाद में मैनपुरी रोड पर स्थिति पराग डेयरी अधिकारियों की उपेक्षा और बदहाली पर आंसू बहा रही है। करोड़ों रुपये का अनुदान मिलने के बाद डेयरी की दशा सुधरी नहीं है। यहां मात्र छह सौ से आठ सौ लीटर दूध रोज आ रहा है। आलम यह है कि कर्मचारी भी दफ्तर में नहीं बैठ रहे। इसके चलते कार्यालय परिंदों का आशियाना बन गया है।
शासन ने क्षेत्रीय किसानों और पशुपालकों को उचित लाभ दिलाने और सफेद क्रांति के उद्देश्य से डेयरी की स्थापना की थी। लेकिन स्थानीय राजनीति का शिकार होने के चलते दुग्ध उत्पादक संघ अपनी पहचान नहीं बना सका। सपा सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डेयरी चालू करने और इसके उत्थान के लिए बड़ी मात्रा में रकम जारी की थी। सासंद और सपा महासचिव सांसद रामगोपाल यादव ने शिलान्यास किया था। उस समय किसानों का बकाया भुगतान कर दिया गया, लेकिन इस बीच भाजपा सरकार आने के बाद समितियों को भंग कर अध्यक्ष सपा नेता रामसेवक यादव को हटाते हुए प्रबंध समन्वय आरके वाजपेयी का कानपुर ट्रांसफर कर दिया गया
अब डेयरी के चीफ मैनेजर अखिलेंद्र मिश्र पराग डेयरी का कामकाज देख रहे हैं। लेकिन वो ज्यादातर समय आगरा कार्यालय में बिताते हैं। इसके चलते कई दिनों से डेयरी का कार्यालय नहीं खुल रहा है। क्षेत्रीय परिवेक्षक अवधेश राय ने बताया दुग्ध उत्पादक संघ पराग ने गांव में करीब 400 समितियां गठित की। इनमें से 200 पजीकृत थीं, लेकिन वर्तमान में मात्र 60 समितियां काम कर रही है। जहां से रोज 600 से 800 लीटर दूध आता है। पिछले महीने हर रोज छह हजार लीटर दूध आता था। दूध उत्पादन की कमी पर उन्होंने बताया कि किसानों, कर्मचारियों और वाहन स्वामी को भुगतान नहीं होने से दूध का उठान ठप है। इसका पूरा लाभ निजी डेयरी संचालक उठा रहे हैं।
पराग डेयरी पर तैनात कर्मचारियों को विगत पांच माह से वेतन नहीं मिला है। इसके चलते उनके परिवार आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। कर्मचारियों ने प्रशासन और शासन से वेतन भुगतान कराने की मांग की है। ताकि परिवार के लोग दीपावली मना सकें।
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