डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर 2017,
प्रोसेस्ड फूड्स और कॉस्मेटिक्स सेगमेंट में कॉम्पिटिशन तेज करने के बाद योग गुरु रामदेव की कंपनी बड़े पैमाने पर चारा बिजनस में उतर रही है। उसे डेयरी ब्रांड अमूल से बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिला है। पतंजलि आयुर्वेद की इकाई पतंजलि फोराज के हेड यशपाल आर्य ने ईटी को बताया कि मक्के की फसल से हरा चारा तैयार करने के लिए कंपनी की तरफ से अमेरिका से एक टेक्नॉलजी लाई गई है। यह चारा गायों में दूध बढ़ाने में उपयोगी माना जाता है। उनके मुताबिक, कंपनी के प्लान के तहत किसानों को भी मक्का उगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा और इससे किसानों की संपत्ति में भी इजाफा होगा।
पतंजलि के साथ पहला परचेज ऑर्डर साइन करने वाली इकाई साबरकांठा डेयरी है, जो गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) की 19 मिल्क यूनियनों में सबसे बड़ी है। यह अमूल ब्रांड के तहत अपने प्रॉडक्ट्स बेचती है। साबरकांठा डेयरी के डिप्टी जनरल मैनेजर आर एस पटेल ने बताया, ‘इस टेक्नॉलजी से प्रॉडक्टिविटी बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे आखिरकार प्रॉडक्ट की क्वॉलिटी में सुधार होगा।’
अमूल पतंजलि के गुजरात स्थित हिम्मतनगर प्लांट से 10,000 मीट्रिक टन चारा खरीदेगी। पटेल ने बताया कि इस बारे में शुरुआती ऑर्डर 6 करोड़ रुपये का है और हाल में इस सिलसिले में दोनों पक्षों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। यह प्लांट साबरकांठा डेयरी की तरफ से मुहैया कराई जमीन पर बनाया गया है।
जीसीएमएमएफ के चेयरमैन जेठा पटेल ने बताया, ‘हम अपने किसानों को पतंजलि द्वारा तैयार चारे की सप्लाई करेंगे। इससे न सिर्फ दूध की मात्रा में बढ़ोतरी होगी, बल्कि इसकी क्वॉलिटी भी बेहतर होगी। साथ ही, उन सीमांत किसानों को भी आत्मनिर्भर होने में मदद मिलेगी, जिनके पास दो या तीन गायें होती हैं। भारत में डेयरी मालिक आमतौर पर गाय या भैंसों को हरी घास चरने के लिए छोड़ देते हैं और इसके बाद सूखा चारा और घर में तैयार पौष्टिक आहार खिलाते हैं। हालांकि, हरे चारे की तकरीबन 60 फीसदी कमी झेल रहे इस देश में गाय आमतौर पर अपनी क्षमता से कम दूध देती है।
आर्य ने बताया कि पतंजलि के इस चारे से इस गैप को भरने में मदद मिलेगी। डेयरी मालिकों को यह प्रॉडक्ट उसी रेट में उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें वह मार्केट से सूखा चारा खरीदते हैं। फिलहाल ऐसा कोई संगठित सिस्टम नहीं है, जिससे सालभर गायों के लिए हरे चारे की सप्लाई हो सके। पतंजलि ने इसके लिए 91 किसानों के साथ समझौता किया है। इसके लिए गुजरात में जमीन की पहचान की गई है। ये किसान तकरीबन 500 एकड़ में मक्का उगाएंगे। कंपनी किसानों की तरफ से तय राशि पर इसकी कटाई करेगी और इसका चारा बनाने के लिए प्रोसेस करेगी। आर्य ने दावा किया, ‘इससे न सिर्फ दूध का क्वॉलिटी और प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि गायों की आयु भी बढ़ेगी।’
(साभार-नवभारत टाइम्स)
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