डेयरी टुडे नेटवर्क/एजेंसी,
नई दिल्ली, 9 सितंबर 2017,
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने एक लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य है वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का। देश में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने किसानों की समग्र भलाई के लिए इस तरह का कोई लक्ष्य देशवासियों के सामने रखा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि मंत्रालय को यह काम 2022 तक अंजाम देना है। कृषि मंत्रालय पूरे मनोयोग और ईमानदारी के साथ प्रधानमंत्री के इस सपने को साकार करने में लगा हुआ है। देश के सभी जिलों में 16 अगस्त, 2017 से केवीके के संयोजन में किसानों की आय दुगनी करने के लिए संकल्प सम्मेलनों में बड़ी संख्या में किसान एवं अधिकारी संकल्प भी ले रहे हैं।
सात सूत्री कार्यक्रम
उत्पादन में वृद्धि
फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई में सुधार बहुत ही आवश्यक है। इसलिए हमारी सरकार ने सिंचाई हेतु बजट बढ़ाया है। हमारा उद्देश्य है ‘प्रति बूंद अधिक फसल’। सूखे की समस्या से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरूआत की गई है, जिसका लक्ष्य ‘हर खेत को पानी’ पहुंचाना है। इसीलिए वर्षों से लम्बित मध्यम एवं बड़ी सिंचाई योजनाओं को पूर्ण करने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जल संचयन एवं जल प्रबंधन के साथ साथ वाटरशेड डेवलपमेंट का कार्य भी तेज गति से कार्यान्वित हो रहा है।
लागत का प्रभावी उपयोग
किसानों को उनकी जमीन की उपजाऊपन की क्षमता की जानकारी देने के लिए सरकार ने देश में पहली बार सॉयल हैल्थ कार्ड स्कीम शुरू की है। सॉयल हैल्थ कार्ड्स के प्रावधान से संतुलित उर्वरकों के उपयोग के कारण किसानों की लागत में कमी हो रही है एवं उत्पादन में भी बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। इसी प्रकार नीम कोटेड यूरिया के माध्यम से यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता तथा यूरिया का अवैध रूप से रासायनिक उद्योग में दुरुपयोग भी समाप्त हो गया है। इतना ही नहीं सरकार जैविक (organic) खेती को भी बढ़ावा दे रही है। कृषि प्रक्षेत्र में नई तकनीकों का उपयोग, जैसे-कृषि प्रक्षेत्र के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से उत्पादकता एवं कृषि क्षेत्र का अनुमान, सूखा का पूर्वानुमान, धान खाली क्षेत्र का रबी मौसम में बेहतर उपयोग आदि से प्लानिंग एवं उत्पादन बढ़ोतरी में सहायता मिल रही है। इसके अतिरिक्त किसान कॉल सेंटर, किसान सुविधा ऐप्प जैसे दूरसंचार एवं ऑनलाईन माध्यमों से किसानों तक ससमय सूचना एवं एडवाइजरी भी पहुंचाई जा रही है।
उपज के बाद नुकसान कम करना
फसलों की उपज के बाद उसका भंडारण करना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। मज़बूरी में कम कीमत पर उपज की बिक्री करनी पड़ती है। इसलिए सरकार का मुख्य ध्यान किसानों को प्रोत्साहित करना है कि वे वेयर हाउस का उपयोग कर अपनी फसल को मजबूरी में ना बेचें । प्राप्त जमा रशीद के आधार पर किसानों को बैकों से ऋण मुहैया कराया जा रहा है, एवं साथ ही ब्याज में छूट भी दी जा रही है। किसानों को नुक्सान से बचाने के लिए सरकार का पूरा फोकस ग्रामीण भंडारण एवं एकीकृत शीत श्रृंखला (Integrated Cold Chain) पर है।
गुणवत्ता में वृद्धि
सरकार खाद्य प्रसंस्करण (food processing) के माध्यम से कृषि में गुणवत्ता को बढ़ावा दे रही है। छह हज़ार करोड़ रुपए के आवंटन (allocation) से प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना की शुरूआत की गई है। इसके तहत एग्रो प्रोसैसिंग क्लस्टरों के फार्वर्ड एवं बैकवर्ड लिंकेज पर कार्य करके फूड प्रौसेसिंग क्षमताओं का विकास किया जाएगा जिससे 20 लाख किसानों को लाभ मिलेगा और करीब साढ़े पांच लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
विपणन (कृषि बाजार) में सुधार
केंद्र सरकार कृषि बाजार में सुधार पर ज़ोर दे रही है। तीन सुधारों के साथ ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना की शुरूआत की गई है जिसमें अभी तक 455 मंडियों को जोड़ा जा चुका हैं । कई मंडियों में ऑनलाइन कृषि बाज़ार ट्रेंडिग भी शुरू हो चुकी है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में बाजार सुधार की दिशा में एक मॉडल एपीएमसी एक्ट राज्यों को जारी किया गया है जिसमें निजी क्षेत्र में मंडी स्थापना, प्रत्यक्ष विपणन मंडी यार्ड के बाहर बनाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त संविदा कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक मॉडल एक्ट बनाने का कार्य भी कर रही है।
जोखिम, सुरक्षा एवं सहायता
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की है। यह किसानों की आय का सुरक्षा कवच है। खरीफ़ व रबी फसल में अबतक की सबसे न्यूनतम दर तय की गई है, जो क्रमशः अधिकतम 2 प्रतिशत और 1.5 प्रतिशत है । इसमें खड़ी फसल के साथ-साथ बुवाई से पहले और कटाई के बाद के जोखिमों को भी शामिल किया गया है। इतना ही नहीं, नुकसान के दावों का 25 प्रतिशत भुगतान भी तत्काल ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है। इस योजना में किसानों को फसल नुकसान के त्वरित भुगतान हेतु उपज के अनुमान के लिए ड्रोन तकनीक तथा फसल कटाई के लिए स्मार्ट फोन जैसी नई तकनीकों का उपयोग भी कई राज्यों में प्रारम्भ किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त किसान सुविधा के मद्देनज़र इस खरीफ मौसम से कस्टमर सर्विस सेंटर एवं बैंक आनलाइन जैसी नई तकनीकी सुविधाओं के माध्यम से प्रीमियम राशि जमा कराने का भी प्रावधान किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के राहत नियमों में भी सरकार ने बदलाव किए हैं। अब केवल 33 प्रतिशत फसल नुकसान होने पर भी सरकार अनुदान दे रही है। साथ ही अनुदान की राशि को 1.5 गुना बढ़ा दिया गया है।
अन्य गतिविधियां
बागवानी : बागवानी का ‘समेकित विकास मिशन’ किसानों की आमदनी दोगुनी करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके लिए बेहतर रोपण साम्रगी, उन्नत बीज और प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन, हाई डेनसिटी प्लांटेशन, रिजुविनेंशन, प्रिसिजन फार्मिंग जैसे कदम उठाए गये हैं।
एकीकृत फार्मिंग (Integrated farming) : हमारी सरकार एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) पर भी जोर दे रही है। खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुधन, मधुमक्खी पालन आदि पर ध्यान दिया जा रहा है। इस योजना से किसानों की ना सिर्फ निरंतर आय में वृद्धि होगी बल्कि सूखा, बाढ़ या अन्य गंभीर मौसमी आपदाओं के प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा ।
श्वेत क्रान्ति : राष्ट्रीय गोकुल मिशन से देशी नस्लों को संरक्षण मिल रहा है। साथ ही नस्लों में आनुवंशिक (hereditary) संरचना में भी सुधार किया जा रहा है। जिससे दूध उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना (Infrastructure) विकास निधि स्थापित करने जा रही है। साथ ही डेयरी उद्यमिता विकास स्कीम (डीईडीएस) से स्वरोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। श्वेत क्रांति में तेजी लाई गई है ताकि किसानो की आय में वृद्धि हो सके ।
नीली क्रांति : यह समेकित मात्स्यिकी विकास व प्रबंधन की व्यवस्था वाली नई पहल है जिसमें अंतर्देशीय मात्स्ियकी, जल कृषि, समुद्री मछली, मैरीकल्चर व राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा किए गए कार्यकलापों के अलावा डीप सी फीशिंग की भी कार्य योजना प्रारंभ की गई है।
कृषि वानिकी : हर खेत के मेड़ पर पेड़, परती भूमि पर पेड़ तथा इंटर क्रॉपिंग में पेड़ लगाने के उद्देश्य से पहली बार “कृषि वानिकी उपमिशन” क्रियान्वित किया गया है।
मधुमक्खीपालन विकास : बड़ी संख्या में किसानों / मधुमक्खीपालकों को मधुमक्खीपालन में प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही मधुमक्खीपालकों और शहद समितियों // फर्मों कंपनियों / मधुमक्खी कॉलोनियों के साथ पंजीकरण किया जा रहा है। प्रत्येक राज्य में एक रोल मॉडल समेकित मधुमक्खीपालन विकास केंद्र (आईबीडीसी) की स्थापना की जा रही है।
रूरल बैकयार्ड पोल्ट्री डेवलपमेंट: इसके तहत गरीब मुर्गीपालक परिवारों कों पूरक आय (Supplemental Income) एवं पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत भेड़, बकरी, सूकर एवं बत्तख पालकों में अपनी आय बढ़ाने हेतु अवसर प्रदान करते हुए उनमे ज़रूरी जागरूकता भी पैदा की जा रही है।
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