डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2017,
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आज राष्ट्रीय महिला किसान दिवस समारोह के मौके पर कहा कि यदि महिलाओं को अवसर और उपयुक्त सुविधाएं दी जाएं जो वे देश में दूसरी हरित क्रांति ला सकती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं को जैविक खेती, स्वरोजगार योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसी विभिन्न नीतियों के जरिये अवसर मुहैया करा रही है।
कृषि मंत्री ने कहा कि महिलाएं कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की निगरानी और फसल तैयार होने के बाद की गतिविधियों में भाग लेकर कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, देश के कृषि क्षेत्र में महिलाओं की करीब 32 प्रतिशत हिस्सेदारी है। महिलाएं कृषि संबंधी रोजगार में 48 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती हैं तथा 7.5 करोड़ महिलाएं दुग्ध उत्पादन एवं पशुपालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने कहा, कृषि एवं इससे जुड़ी गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी अधिक करने और जमीन एवं अन्य सुविधाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ाने के लिए मंत्रालय के पास राष्ट्रीय किसान नीति के तहत घरेलू एवं कृषि भूमि के लिए संयुक्त पट्टा देने जैसे नीतिगत प्रावधान हैं।
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यह आस्त करना है कि कृषि उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी प्रभावी हो। उन्होंने बताया कि 2016-17 में महिलाओं से जुड़ी 21 तकनीकों का मूल्यांकन किया गया तथा 2.56 लाख महिलाओं को पशुपालन, मुर्गीपालन जैसी कृषि से जुड़ी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित किया गया।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रति वर्ष 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। निर्णय का आधार था-संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा 15 अक्टूबर को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाना। यही वजह है कि देश के समस्त कृषि विश्वविद्यालयो, संस्थानों एवं के.वी.के. में आज राष्ट्रीय महिला किसान दिवस मनाया जा रहा है ।
आज की वर्तमान चुनौती जैसे कि जलवायु परिवर्तन एवं प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को रोकने तथा प्रबंधन करने में महिलाओं के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। देखा जाए तो महिलाएं कृषि में बहुआयामी भूमिकाएं निभाती हैं। जहाँ बुवाई से लेकर रोपण, निकाई, सिंचाई, उर्वरक डालना, पौध संरक्षण, कटाई, निराई, भंडारण आदि सभी प्रक्रियाओं से वो जुडी हुई हैं। इसके अलावा वे कृषि से सम्बंधित अन्य धंधो जैसे, मवेशी प्रबंधन, चारे का संग्रह, दुग्ध और कृषि से जुडी सहायक गतिविधियों जैसे मधुमक्खी पालन, मशरुम उत्पादन, सूकर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन इत्यादि में भी पूरी तरह सक्रिय रहती हैं।
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