डेयरी टेक्नॉलॉजी कॉलेज के नये विस्तार भवन का लोकार्पण

रायपुर, 28 जुलाई 2017

डेयरी टेक्नॉलॉजी शिक्षा क्षेत्र के मध्य भारत के एक मात्र महाविद्यालय छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संचालित किया जा रहा है। इस दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के विद्यार्थी अब सर्वसुविधा युक्त नए भवन में पढ़ाई करेंगे।

कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कल देर शाम महाविद्यालय परिसर में नए विस्तार भवन का लोकार्पण किया। उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर बी.टेक. डेयरी टेक्नॉलॉजी के प्रथम वर्ष में प्रवेश लिए विद्यार्थियों के लिए उन्मुखीकरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मंत्रीद्वय में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए डेयरी टेक्नोलॉजी शिक्षा के साथ-साथ पशुधन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाविद्यालय के विभिन्न संकायों द्वारा प्रकाशित पुस्तिकाओं का विमोचन किया।

कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि महाविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए सौभाग्य की बात है कि उन्हें देश के 20 डेयरी टेक्नॉलॉजी शिक्षा महाविद्यालयों में से एक महाविद्यालय में पढ़ने का अवसर मिला है। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आग्रह करते हुए कहा कि वे शिक्षा लेने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पशुपालन के प्रति जागरूकता लाने का काम करेंगे। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्राचीन समय में पशुधन से लोगों की समृद्धि का आकलन किया जाता था।

समय के साथ-साथ पशुपालन करने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। आज फिर से पशुपालन को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की योजना के अनुसार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए परंपरागत खेती के साथ-साथ उद्यानिकी, पशुपालन और मछलीपालन जैसे रोजगार मूलक कार्यो को बढ़ावा देने की जरूरत है। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने डेयरी विकास की नई योजना शुरू की है। इसके तहत पशुपालन के लिए 12 लाख रूपए तक ऋण दिया जा रहा है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान एक हजार डेयरी खोलने का लक्ष्य रखा गया है। श्री अग्रवाल ने कहा कि पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालक किसानों और ग्रामीणों तक डेयरी टेक्नोलॉजी को पहुंचाने की जरूरत है। कृषि के साथ पशुपालन रोजगार पैदा करने वाला प्रमुख क्षेत्र है। इसका महत्व कभी कम नहीं होगा। उन्होंने महाविद्यालय में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज छत्तीसगढ़ में कृषि, विधि, सूचना प्रौद्योगिकी सहित अन्य रोजगारोन्मुखी राष्ट्रीय स्तर की उच्च शिक्षण संस्थाएं खुल गई हैं। राज्य के युवाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सुविधा मिल रही है। श्री पाण्डेय ने कहा कि हमारे देश में विकास के नए दौर में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में टेक्नॉलॉजी का उपयोग काफी बाद में शुरू हुआ है। उन्नत तकनीक से नगद फसल लेने वाले किसानों की आर्थिक हालत हमेशा से अच्छी रही है। खेती-किसानी, पशुपालन और मछलीपालन जैसे काम-धंधे के महत्व को जानने के लिए हमे ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को समझने की जरूरत है। ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था के विकास में कृषि के अलावा पशुपालन और डेयरी विकास का महत्वपूर्ण योगदान है। दुधारू पशुपालन से ग्रामीण परिवारों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्नत नस्ल की एक गाय या भैंस पालन पर भी छोटे परिवार की आजीविका चल सकती है।

श्री पाण्डेय ने कहा कि डेयरी टेक्नॉलॉजी की शिक्षा का अलग महत्व है। छत्तीसगढ़ में इस तरह का एक मात्र महाविद्यालय राजधारी रायपुर में संचालित है। उपयोगिता और उपलब्धता की दृष्टि से देखे तो इस महाविद्यालय में पढ़ाई करना सौभाग्य की बात है। महाविद्यालय से निकले वाले विद्यार्थी स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. व्ही.के. मिश्रा ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के विकास को उल्लेखनीय बताया। उन्होंने बताया कि कम समय में ही विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन-अध्यापन की सुविधाएं बढ़ी हैं।

डॉ. मिश्रा ने दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय रायपुर की प्रगति की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय परिसर में डेयरी प्रोडक्ट निर्माण के लिए प्लांट तैयार हो रहा है। यह प्लांट छह माह में शुरू हो जाएगा। इसके बाद यहां छात्र-छात्राओं को मिल्क प्रोसेसिंग का प्रेक्टिकल करने का अवसर मिलेगा। यह उनके लिए व्यवहारिक ज्ञान होगा। उन्होंने महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय सुविधा बढ़ाने का आग्रह कृषि मंत्री से किया।

महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. उपरीत ने भी अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बी.के. गोयल ने किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय कुल सचिव डॉ. मरकाम सहित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
साभार-देशबंधु

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