डेयरी टुुडे नेटवर्क,
फिरोजपुर(पंजाब), 8 मार्च 2018.
आज केंद्र सरकार का जोर 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर है, इसके लिए खेती की नई तकनीकि के इस्तेमाल के साथ ही सरकार डेयरी फार्मिंग, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन इन सबमें डेयरी फार्मिंग एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसे अपना कर किसान अपनी कमाई में अच्छी खासी बढ़ोतरी कर सकते हैं। हम लगातार आपको डेयरी फार्मिंग में सफलता पाने वाले किसानों की कहानी से अवगत कराते हैं, लेकिन आज हम एक महिला डेयरी फार्मर की कहानी लेकर आए हैं। पंजाब के फिरोजपुर जिले के धीरापतरा गांव की राजवंत कौर नाम की महिला ने महज चार वर्षो में डेयरी फार्मिंग के जरिए अपनी कमाई डेढ़ लाख रुपये प्रति महीने कर ली है।
महिला किसान राजवंत कौर ने 2013 में महज दो लाख रुपये की लागत से डेयरी फार्म शुरू किया था। लेकिन आज राजवंत कौर उन किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं जोकि खेती-किसानी व खेती के सहायक धंधों से निराश होकर मौत को गले लगा रहे हैं। राजवंत कौर की मेहनत व काबिलियत ने इस साल एक जून को दिल्ली में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय से साहीवाल गाय की नस्ल सुधारने के लिए बेहतर कार्य करने पर राष्ट्रीय अवार्ड से भी सम्मानित हो चुकी हैं। व्यावसायिक खेती व डेयरी फार्म से वह प्रति महीने डेढ़ लाख रुपये कमा रही हैं।
फिरोजपुर ब्लॉक के धीरापतरा निवासी 45 वर्षीय राजवंत कौर को अपने पढ़े-लिखे न होने का मलाल तो है, लेकिन उनकी इस विवशता में उनके पति बूटा सिंह बहुत सहायक साबित हो रहे हैं। वह अपने इकलौते बेटे को एक सफल किसान के रूप में देखना चाहती हैं, जोकि इस समय बीएससी एग्रीकल्चरल अंतिम वर्ष का छात्र है। उन्होंने बताया कि उनके पति की पैतृक जमीन 25 एकड़ है, जिसमें वह लोग गन्ना, बासमती, गेहूं व सब्जियों की खेती करते हैं, जिससे उन्हें तो फायदा मिलता ही है। साथ में क्षेत्र के लोगों को इससे रोजगार भी मिलता है।
राजवंत कौर ने बताया कि उनकी डेयरी में साहीवाल गाय और मुर्राह नस्ल की 29 भैंसें हैं। उन्होंने दो साहीवाल गायों से अपने साहीवाला डेयरी फार्म को शुरू किया था, जिसमें अब 35 गाय व भैंसें हो गई हैं, जिनकी कीमत अब 35 लाख रुपये से अधिक है। राजवंत कौर साहीवाल गाय का दूध 65 रुपये लीटर व घी 2000 रुपयो किलो में बेचती हैं। उनकी गायों व भैंसों के दूध व घी की डिमांड इतनी ज्यादा है कि उसे वह पूरा नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस महीने 3 व 4 अक्टूबर को फिरोजपुर जिले में पशुधन चैंपियनशिप में उनकी गायों व भैंसों ने 12 ईनाम जीतने में सफल रहे। यहीं नहीं 1 अप्रैल 2016 को पंजाब सरकार ने उनके पति बूटा सिंह को ब्राजील भेजा था, ताकि वह वहां के साहीवाल गायों की नस्ल को देख व समझ सकें, क्योंकि ब्राजील की साहीवाल गायें भारत से ही गई हैं, और वहां उनकी नस्ल में और सुधार किया गया है, जिससे वहां साहीवाल गाये 71 लीटर रोजाना दूध दे रही है, जबकि उनके फार्म में सबसे ज्यादा 21 लीटर दूध देने वाली साहीवाल गाय है।
राजवंत के पति बूटा सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी किसानों की मदद के लिए फॉर्मर हेल्प सोसायटी धीरा पतरा में चलाती हैं। इसमें पचास फीसद से ज्यादा योगदान उन्हीं का है। उन्हें अपनी पत्नी की काबलियत पर बहुत नाज है। राजवंत रोजाना सुबह उठकर पशुओं को चारा, उन्हें नहलाना, दूध निकालना व घी बनाने का काम खुद करती हैं।
(साभार-दैनिक जागरण)
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