उत्तराखंड: दूध पर प्रोत्साहन राशि बंद होने से किसान परेशान, दुग्ध उत्पादन से खींचे हाथ

रुद्रपुर, 27 जुलाई 2017,

ऊधमसिंह नगर में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि उत्पादकों को बंद कर दी गई है। प्रदेश सरकार की इस बेरुखी से नाराज किसानों ने उत्पादन से हाथ खींच लिए हैं। इन लोगों ने दूध देना बंद कर दिया है। वित्तीय -15 में दुग्ध उत्पादकों को दूध की गुणवत्ता के आधार पर 4 रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि देने की शुरुआत हुई। इसका मकसद प्रदेश में दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देना था। सकारात्मक परिणामों के चलते दुग्ध उत्पादन में वृद्धि भी दर्ज की गई। की शुरुआत से ही दुग्ध उत्पादकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि मिलनी बंद हो गई।

दैकिन जागरण में छपी खबर के मुताबबिक दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना के तहत पशुपालाकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में बजट बड़ी बाधा बन गया है। वित्तीय की शुरुआत से दुग्ध उत्पादकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का बजट शासन से अवमुक्त नहीं हुआ है। जिसका सीधा असर जिले में दुग्ध व्यवसाय पर पड़ने लगा है।

2015 में कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी योजना

प्रदेश में दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने के मकसद से 2015 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की। योजना के तहत 8 प्रतिशत एसएनएफ सोलिड नॉट फैट गुणवत्ता वाले दूध पर 4 रुपये प्रति लीटर दुग्ध उत्पादकों को दिया जाता था। 7.5 प्रतिशत से 8 प्रतिशत एसएनएफ गुणवत्ता वाले दूध पर 3 रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। जबकि एसएनएफ 7.5 प्रतिशत से कम गुणवत्ता वाले दूध पर कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती थी। प्रोत्साहन राशि मिलने के बाद से ही जिले में पशुपालकों की आय में बढ़ोत्तरी के साथ ही दुग्ध व्यवसाय में भी वृद्धि हुई। वर्ष 2012 में ऊधमसिंह नगर में औसतन दुग्ध उत्पादन 37,761 लीटर प्रतिदिन था। जो प्रोत्साहन राशि मिलने के बाद 2017 की शुरुआत तक 60,000 लीटर प्रतिदिन तक पहुंच गया।

इसके बाद प्रोत्साहन राशि मिलनी बंद हो गई और 2017 की पहली छमाही तक दुग्ध उत्पादन घटकर 48,000 लीटर प्रतिदिन रह गया। जो वर्तमान में 45,000 लीटर प्रतिदिन में आकर सिमट गया है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि दुग्ध उत्पादकों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बंद होने से दुग्ध व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। दुग्ध उत्पादकों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के उद्देश्य से बनी महत्वाकांक्षी दुग्ध मूल्य प्रोत्साहन योजना दम तोड़ती नजर आ रही है, उत्पादकों का भी मोहभंग हो रहा है।

उत्पादन बढ़ाने को किए गए प्रयास

डेयरी विकास विभाग ने जिला योजना में दुग्ध समितियों में 10 प्रतिशत सदस्यता बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। पशुआहार बिक्री का लक्ष्य बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। नि:शुल्क पशु औषधि और टीकाकरण के अलावा आकस्मिक पशु चिकित्सा यूनिट के डॉक्टर पशुपालकों के घर जाकर इलाज कर रहे हैं। 250 लीटर से अधिक उत्पादन वाली दुग्ध समितियों को अत्याधुनिक करने का भी प्रस्ताव है। इनको राज्य योजना से डिजिटलाइज किया जाएगा। डेयरी विकास विभाग के सहायक निदेशक बृजेश सिंह का कहना है कि विभाग दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के निरंतर प्रयास कर रहा है। योजनाओं के माध्यम से पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कब-कितनी प्रोत्साहन राशि मिली

ऊधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में साल 2015 में पशुपालकों को राज्य सरकार की ओर से पांच करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि दी गई। 2016 में एक करोड़ रुपये प्रोत्साहन के रुप में वितरित किए गए। जबकि 2017 की शुरुआत से प्रोत्साहन राशि मिलनी बंद हो गई।

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