डेरी टुडे नेटवर्क
रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड), 11 जुलाई 2017,
डीएम के आदेश पर की गई गाय घोटाले की जांच में भी पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने लीपापोती कर दी। इस घोटाले की जांच में पूरे तथ्य न रखने पर डीएम ने दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। डीएम ने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराकर सत्यता का पता लगाया जाएगा, और यदि इसमें कुछ गड़बड़ हुआ तो दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश सरकार ने केदारनाथ त्रासदी से प्रभावित विधवा महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के उद्देश्य से एक करोड़ बीस लाख की लागत से 208 गाय निश्शुल्क वितरित की थी। आरोप है कि इसमें से अधिकांश गाय दूध ही नहीं दे रही हैं, और जो दे भी रही हैं, उनका दूध काफी कम है, जिससे इन गाय को पालने में पशुपालकों की लागत ज्यादा आ रही है। इससे सरकार की इन महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की कवायद असफल साबित हो रही है। इस घोटाले को लेकर ‘दैनिक जागरण’ ने समाचार प्रकाशित किया था, जिस पर डीएम मंगेश घिल्डियाल ने पशुपालन विभाग से जांच आख्या मांगी थी। ताज्जुब यह है कि पशुपालन विभाग ने जांच में गाय खरीद को सही साबित करते हुए विधवा महिलाओं पर ही सब बात डाल दी।
पशुपालन विभाग के दो डाक्टर व एक फार्मेसिस्ट की ओर से हुई जांच में बताया गया कि गाय खरीदने में विधवा महिलाओं को भी शामिल किया गया था, और उनकी देखरेख में ही गाय खरीदी गई। जो गाय वितरित की गई, उनकी नस्ल पशु चिकित्सकों को देखनी थी या पीड़ित महिलाओं को, इसका जिक्र नहीं किया गया है। जबकि जो मूल्य गाय खरीद के लिए निर्धारित किया गया वह जर्सी गाय खरीद की दृष्टि से काफी अधिक पाया गया। मूल्य का निर्धारण भी पशुपालन विभाग ने किया।
आरोप है कि एक गाय की कीमत चालीस हजार थी, और इसके अलावा 17 हजार 240 रुपये का चारा व लाने में खर्च पशुपालन विभाग ने किया, जबकि इस धनराशि से अच्छी नस्ल का मुर्रा भैंस को खरीदा जा सकता था, जो कि पहाड़ की जलवायु के अनुरूप भी है। चालीस हजार रुपये गाय खरीदने में खर्च किए गए तो स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी धनराशि में अच्छे नस्ल की गाय खरीदी गई होगी, लेकिन जो गाय विधवा महिलाओं को दी गई, उनका अनुमानित बाजारी भाव पंद्रह से बीस हजार रुपये से अधिक नहीं है।
जांच रिपोर्ट में पशुपालन विभाग का यह तर्क है कि जर्सी गाय यहां के वातावरण में फिट नहीं बैठती, जिस कारण वह दूध नहीं दे रही है। सवाल यह है कि जब यह समस्या थी तो जर्सी गाय क्यों खरीदी गई। इसके बजाय पहाड़ी की ही अच्छी नस्ल की गाय या भैंस क्यों नहीं दी गई। यह बिंदू पशुपालन विभाग पर सवाल खड़ा करता है। इधर, डीएम मंगेश घिल्डियाल ने कहा है कि यह मामला गंभीर है। इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाएगी। जांच समिति में उप जिलाधिकारी ऊखीमठ भी शामिल होंगे। कहा कि यदि गाय खरीद में गड़बड़ हुई होगी, तो किसी भी कीमत पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
आंदोलन की चेतावनी
उक्रांद के जिलाध्यक्ष देवेंद्र चमोली ने कहा कि पीड़ितों के साथ यदि किसी प्रकार की गड़बड़ हुई है तो यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। इसके खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा। व्यापार संघ अध्यक्ष गुप्तकाशी अनुसूया प्रसाद भट्ट ने कहा कि पीड़ित महिलाओं को घटिया नस्ल की गाय देने के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
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