डेयरी टुडे डेस्क,
भोपाल, 13 सितंबर 2017,
मध्य प्रदेश में सांची के दूध पार्लरों पर सब्जी बेचने का कोई फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है। एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (एमपीएसडीएफ) और भोपाल दुग्ध संघ में फॉर्मूले पर सहमति नहीं बनने से दूध पार्लर पर सब्जी बेचने पर तकरार चल रही है। दरअसल, दिल्ली या बेंगलुरू में से किसी एक फॉर्मूले पर फैसला होना है, लेकिन फेडरेशन की एमडी अरुणा गुप्ता और दुग्ध संघ सीईओ जीतेंद्र सिंह राजे की राय अलग-अलग है। दोनों में की राय अलग होने के चलते अब तो यह भी साफ नहीं है कि सांची पार्लरों पर सब्जी बिकेगी या नहीं? इसके चलते भोपाल में सांची दूध के 20 पार्लरों से सब्जी बेचने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। सांची दूध पार्लरों पर अगस्त माह से सब्जी के आउटलेट की तैयारी का दावा किया गया था। वहीं सांची पार्लर चलाने वालों ने अभी तक सब्जी के आउटलेट खुलने पर अपनी सहमति नहीं दी है। अभी सांची पार्लर और किसानों के बीच बैठक होना है। यानी छह माह तो प्रक्रिया में ही लग जाएंगे।
दुग्ध संघ के अफसर पिछले चार माह में बेंगलुरू और दिल्ली टीम के साथ दो बार दौरे कर चुके हैं। डेयरी के साथ ही सब्जी के आउटलेट चलाने के लिए दोनों फॉर्मूलों पर अफसर एमपीएसडीएफ और दुग्ध संघ को अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं। इन रिपोर्ट के आधार पर दुग्ध संघ ने फाइनल प्रस्ताव बनाकर एमपीएसडीएफ को भेजा था, जिसे फेडरेशन ने खारिज कर दिया।
सब्जी के आउटलेट के लिए सोसायटी बनाई गई है। दूध पार्लर चलाने वाले और किसान सभी को सदस्य बनाया गया है। यहां किसान सब्जी देकर जाते हैं, लेकिन जो माल नहीं बिकता उसे वापस ले जाना होता है। लेकिन यहां मंडी से रेट तय करने की टीम अलग है। ये टीम थोक मंडी में चंद व्यापारियों से मिलने के बाद दाम तय कर देती है। कुछ किसानों का पूल बन गया है, जिससे बाकी किसानों की सब्जी नहीं ली जाती है।
मदर डेयरी दूध के प्रोडक्ट के साथ ही सब्जी-फल बेचती हैं। मदर डेयरी ने इसके लिए 22 एकड़ जमीन पर कॉमन सेंटर बनाया है। जहां से सब्जियों को आउटलेट तक पहुंचाया जाता है। 8 से 10 गांव के बीच कलेक्शन सेंटर बनाए गए हैं। मदर डेयरी में सब्जी के दाम फिक्स हैं, जो कई बार बाजार से ज्यादा हो जाते हैं। जिससे ग्राहक दूरी बनाते हैं। 8 हजार किसान सदस्य बनकर जुड़े हैं। सब्जी एकत्र करने की प्रक्रिया लंबी होने से ताजा सब्जी मिलने में मुश्किल होती है।
वहीं भोपाल दुग्ध संघ के सीईओ जीतेंद्र सिंह राजे का कहना है कि दिल्ली-बेंगलुरू के पैटर्न अलग-अलग हैं। मध्य प्रदेश में इनसे अलग पैटर्न लाया जा सकता है। फाइनल प्लान अभी तय नहीं है। उन्होंने कहा कि फेडरेशन या एमडी से मिले सुझाव पर कुछ नहीं कह सकते।
साभार-दैनिक भास्कर
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