डेयरी टुडे नेटवर्क,
जयपुर, 4 फरवरी 2020,
सरस घी के दामों में इन दिनों आग लगी हुई है। राजस्थान में Saras Ghee के दाम इन दिनों रिकॉर्ड स्तर पर हैं। राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन ने सरस घी के दामों में 20 रुपये तक की बढ़ोतरी की है, जो अभी तक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। Saras Ghee के सभी प्रकार के कंज्यूमर पैक्स में 15 रुपये और बल्क पैक्स में 20 रुपये प्रति किलो की दर से बढ़ोतरी की गई है। डेयरी फैडरेशन के उप प्रबन्धक (जनसम्पर्क) विनोद गेरा के मुताबिक गाय के कंज्यूमर सरस घी पैक में 15 रुपये और बल्क पैक में 20 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी की गई है। अब एक लीटर का मोनोकार्टन पैक 465 रुपये से बढ़कर 480 रुपये और आधा लीटर मोनोकार्टन पैक 234 रुपये से बढ़कर 241 रुपये का हो गया है। जबकि 5 लीटर का टिन पैक 2325 रुपये से बढ़कर 2400 रुपये का और 15 किलो का टिन पैक 7200 रुपये से बढ़कर 7500 रुपये का हो गया है।
बताया जा रहा है कि राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन में दूध की आवक कम होने की वजह से सरस घी दरों में तेजी से वृद्धि हो रही है। फैडरेशन 17 महीने में सरस घी के दामों में 180 रुपए प्रतिलीटर की बढ़ोतरी कर चुका है। 17 महीने पहले 15 लीटर सरस घी का टिन पैक उपभोक्ता को 4800 रुपये में मिल रहा था। अब इसकी दरें बढ़कर 7500 रुपये हो गई है। आपको बता दें कि ये दरें अब तक सरस घी की सबसे अधिक हैं।
सरस डेयरी के अधिकारियों के मुताबिक राज्य में प्राइवेट डेयरियों के सक्रिय होने से सरस डेयरियों में दूध की आवक लगातार गिरती जा रही है। यह सिलसिला गत तीन साल से चल रहा है। हालात यह है कि इस वर्ष तो प्रदेश की 21 सरस डेयरियों में पिछळे साल से 2 प्रतिशत दूध कम आ रहा है। दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार वर्ष 17-18 में करीब 28 लाख लीटर दूध आ रहा था, लेकिन अब यह घटकर 27 लाख लीटर रह गया है। दूध की आवक सबसे कम सीजन के समय नवम्बर और दिसंबर में रही है। मई और नवम्बर 2019 में तो पिछले साल की तुलना में पांच लाख लीटर दूध प्रतिदिन कम आया है। वर्ष 2017-18 में नवम्बर माह में दूध 32 लाख लीटर प्रतिदिन आया था, जो वर्ष 2018-19 में 6 लाख लीटर प्रतिदिन घटकर 26 लाख 16 हजार लीटर रह गया।
2017 में दूध की बंपर आवक रही। सर्दियों में दूध 32 लाख लीटर प्रतिदिन पहुंच गया था। असर यह रहा की अगस्त 2018 में आरसीडीएफ को सरस घी बेचने के लिए स्कीमें लांच करनी पड़ी। डेयरी संघों में सरस घी रखने के लिए जगह नही थी। अब हालात यह है कि दूध की रेट बढ़ रही हैं और दूध पाउडर बन नहीं रहा है। अधिकारी समय रहते हुए चेते तो इसका खामियाजा लोगों को गर्मियों में भुगतना होगा।
दूध में बढ़ोतरी करने की अपेक्षा आरसीडीएफ के अफसर दाम बढ़ाने में लगे हुए हैं। अफसर फील्ड में नहीं जाकर आफिस में बैठे ही दूध बढ़ाने की प्लानिंग कर रहे हैं। ये प्लानिंग फिजिबल नहीं होने से फेल साबित हो रही है। इसका फायदा प्राइवेट डेयरियों को मिल रहा है। 21 डेयरी संघों में से अकेली जयपुर डेयरी है, जिसमें दूध की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। बाकी डेयरी संघों में दूध की निरंतर कमी हो रही है। यही स्थिति रही तो गर्मियों में दूध का संकट खड़ा सकता है, क्योंकि दूध की आवक नहीं होने से पाउडर भी नहीं बन रहा है।
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