BY नवीन अग्रवाल
नई दिल्ली, 12 अगस्त 2017,
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पशु बिक्री बैन अधिसूचना पर लगाई गई रोक को पूरे देश में लागू कर दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने पशु ब्रिकी बैन के लिए एक अधिसूचना जारी की थी लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी। मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि केंद्र सरकार का नया नियम न केवल संघीय ढांचे के विपरीत है बल्कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के भी विपरीत है। सरकार के इस नियम का केरल, पश्चिम बंगाल, पुड्डुचेरी आदि राज्यों में पुरजोर विरोध हो रहा है। इसे लेकर कई राज्यों की हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई है।सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद अब ये रोक तमिलनाडु के साथ-साथ पूरे देश में लागू हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने वध के लिए पशुओं के व्यापार से जुड़े केंद्र सरकार के नए नियम पर रोक लगाते हुए कहा कि पशु वध क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट ने पशुधन के नए नियम पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा कि एक व्यक्ति एक जानवर को मारकर क्यों नहीं खा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की ये नई व्यवस्था पशुधन बाजार को नियंत्रित करने का एक प्रयास है। जबकि संविधान के मुताबिक केवल राज्य सरकारें ही पशु वधशालाओं को लेकर नियम बना सकती हैं।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार की इस अधिसूचना के बाद वध के लिए पशु व्यापार पर 6 माह के लिेए रोक लग गई थी। इसके तहत खरीददार को पशु निरीक्षक की ओर से दिया गया खरीदारी प्रमाणपत्र रखना आवश्यक था। मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने पूछा कि जानवर की श्रेणी में हमेशा गाय और भैंस को मानते हैं, जबकि ये चिकेन भी हो सकता है। एक व्यक्ति चिकेन को घर ले जाकर क्यों नहीं खा सकता। उन्होंने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि पशुओं का वध क्रूरता नहीं है। जस्टिस खेहर और जस्टिस चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के उस नोट को भी देखा, जिसमें उस नोटिफिकेशन को नए सिरे से तैयार करने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आल इंडिया जमियतुल कुरैश एक्शन कमेटी की याचिका का भी निपटारा किया।
केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर जानवरों के क्रूरता की रोकथाम(पशुधन बाजार नियमन) अधिनियम 2017 पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार ने 23 मई को इसकी अधिसूचना जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पशुओं की खरीद-फरोख्त में एक बार फिर तेजी आ सकती है। नए नियम के बाद से ही मीट व्यापारियों की तरफ से दलील जा रही थी कि केंद्र से नए नियम से उनका धंधा चौपट हो गया है और लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार को दिए गए इस फैसले उन लोगों को राहत मिलेगी जो मीट का कारोबार करते हैं। सरकार द्वारा रोक लगाने के बाद गाय, भैंस और अन्य गोवंश की बिक्री काफी घट गई थी।
1401total visits.