नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
दमन/नई दिल्ली, 15 मई 2020,
डेयरी फार्मिंग के बिजनेस में सफलता का एक ही मंत्र है- कड़ी मेहनत और कुछ कर गुजरने का जुनून। ‘डेयरी टुडे’ की कोशिश रहती है कि देशभर में डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming)और दुग्ध उत्पादन (Milk Production) के क्षेत्र में अपना परचरम लहराने वाले डेयरी किसानों की Success Story से आप लोगों को रूबरू कराएं। ‘डेयरी के सुल्तान’ की इस कड़ी में हम आपके सामने लाए हैं दमन के प्रगतिशील युवा डेयरी किसान प्रतीक रावल की सफलता की कहानी। Dairy Farmer प्रतीक रावल ने देसी गिर गायों (Gir Cow) का इतना खूबसूरत, आधुनिक और स्वच्छ डेयरी फार्म (Dairy Farm) स्थापित किया है कि लोग उनके फार्म का दूध ही नहीं लेते बल्कि बड़ी संख्या में टूरिस्ट उनका डेयरी फार्म और गायों को देखने भी आते हैं।
31 वर्ष के प्रोग्रेसिव डेयरी किसान (Progressive Dairy Farmer) प्रतीक रावल के डेयरी फार्मिंग के बिजनेस मे आने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करने वाले प्रतीक गुजरात के राजकोट के रहने वाले हैं और उनकी दमन में नमकीन बनाने की फैक्ट्री थी। करीब चार साल पहले वे राजकोट से दमन में शिफ्ट हो गए। दमन में उन्हें सबसे अधिक परेशानी देसी गाय का अच्छी क्वालिटी का दूध (Milk) मिलने में होती थी। राजकोट में प्रतीक और उनका परिवार गिर गाय (Gir Cow) का दूध पीते थे, लेकिन दमन में यह उपलब्ध नहीं था। उन्होंने इसका भी तोड़ निकाल लिया और अपने परिवार के लिए दो गिर गाय ले आए। प्रतीक बताते हैं कि दमन में उनके दोस्तों और जानने वालों के सामने भी अच्छी क्वालिटी का A2 Milk नहीं मिलना सबसे बड़ी समस्या था। बस यहीं से उन्हें गिर गायों का डेयरी फार्म खोलने का विचार आया।
प्रतीक रावल बताते हैं कि 2017 में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के नाम पर श्री मुरलीधर गिर काऊ फार्म (Shree Murlidhar Gir Cow Farm) नाम से डेयरी फार्म की शुरुआत की। जब उन्होंने फार्म खोला था तब सिर्फ 8 अच्छी नस्ल की गिर गायें लेकर आए थे। फार्म खोलने के बाद उन्होंने अपने मिल्क ब्रांड ‘मुरलीधर’ भी रजिस्टर्ड कराया। प्रतीक बताते हैं कि शुरू से ही उन्होंने गायों को प्राकृतिक और आधुनिक दोनों तरह का माहौल दिया। पक्का शेड बनाया, सभी मार्डन सुविधाओं को संजोया। धीरे-धीरे उनके मुरलीधर गिर गाय फार्म के दूध की मांग बढ़ती गई और डेयरी फार्म में गायों की संख्या भी। आज उनके डेयरी फार्म (Dairy Farm) में 72 गाय और बछड़ी हैं। फिलहाल डेयरी फार्म में कुल चालीस गायों में से 21 गिर गाय मिल्किंग हैं।
प्रगतिशील डेयरी फार्मर प्रतीक रावल (Prateek Rawal) ने डेयरी टुडे के बताया कि फिलहाल उनके फार्म में 140 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वे दमन के लोगों 110 रुपये प्रति लीटर दूध बेचते हैं और दूध की मांग पूरी नहीं कर पाते हैं, हालत यह है कि ग्राहकों की वेटिंग लगी रहती है। प्रतीक ने बताया कि वो कांच की बोतल में पैक करते दूध की सप्लाई करते हैं। दूध के अलावा वे बिनौला पद्धति से गिर गायों के दूध का घी (Ghee) भी तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि वे 3360 रुपये प्रति लीटर देसी घी बेचते हैं और इसकी मांग भी पूरी नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा वे गौ मूत्र अर्क और कंडे भी बेचते हैं। दस कंडे का बॉक्स 100 रुपये में बिकता है, जबकि एक ट्रॉली गोबर 2000 रुपये में बेचते हैं।
डेयरी फार्म के संचालन के लिए प्रतीक ने 6 कर्मचारियों को नौकरी पर रखा है। गायों का दूध हाथ से ही दुहा जाता है। दो कर्मचारी मिल्क की पैकिंग और सप्लाई का काम करते हैं। प्रतीक रावल के अनुसार वे Dairy Farm के संचालन में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे है। उन्होंने बताया कि फार्मट्री (Farmtree) मोबाइल ऐप के बारे में इंटरनेट से पता चला था और उन्हें इसे डाउनलोड कर इसके हिसाब से कार्य करना शुरू कर दिया। पहले गाय, बछडा, बछड़ी आदि की पूरी जानकारी रजिस्टर में लिखते थे, जैसे कि कौन सा बछड़ा किस गाय का है, लेकिन अब ऐप के जरिए सबकुछ आसान हो गया है। Farmtree ऐप से गाय का लेक्टेशन पीरियड (Lactation Period) पता चलता है। ये भी पता चलता है कि प्रेगनेंट होने के बाद गाय कितने महीने तक दूध देती है। आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन की तारीख भी पता चलती है, मिल्किंग (Milking) का पूरा रिकॉर्ड रहता है। ऐसे में अगर कोई गाय दूध कम दे रही है तो उसका भी पता चल जाता है और उस गाय को कोई बीमारी है तो उसका इलाज किया जाता है।
उन्होंने कहा कि गाय और बछड़ों की पूरी डिटेल जानकारी होने पर उन्हें बेचने पर अच्छी कीमत मिलती है। प्रतीक रावल ने बताया कि हर गाय की इतनी जानकारी में सिर्फ 20 रुपये का खर्च आता है, यानि 30 गायों के लिए महज 600 रुपये प्रति महीने खर्चा आता है। इतना ही नहीं कई कोई और परेशानी हो तो फार्मट्री ऐप की टीम से चौबीस घंटे पूरी मदद भी मिलती है। प्रतीक रावल ने बताया की फार्मट्री एप से जहां डेयरी फार्म की प्रोडक्टिविटी (Productivity) बढ़ी है, वहीं गायों की देखभाल भी बहुत आसान हो गई है और फार्म संचालन का खर्चा भी कम हुआ है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में उनका कहा है कि जल्द ही कई बछड़ियां लेक्टेशन में आ जाएंगी और तब दूध का उत्पादन भी बढ़ जाएगा। उन्होंने वे भविष्य में मुंबई तक दूध की सप्लाई करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। उन्होने कहा कि डेयरी फार्म के परिचालन में करीब साढ़े तीन लाख प्रति महीने का खर्च आता है। जबकि बचत 80 हजार से एक लाख रुपये तक की हो जाती है। इसके साथ ही प्रतीक रावल कंसल्टिंग का भी काम करते हैं और लोगों को डेयरी फार्म की स्थापना, शेड निर्माण, फार्म संचालन, दूध की मार्केटिंग आदि की पूरी जानकारी देते हैं।
डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में आने वाले युवाओं को प्रतीक रावल का संदेश है कि इस बिजनेस में धैर्य की बहुत जरूरत है। युवाओं को डेयरी फार्मिंग में एक से डेढ़ साल तक इनकम के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्किन दूध की बिक्री के लिए मार्केट जैनरेट करना चाहिए। अच्छी क्वालिटी के दूध की मांग बढ़ती जा रही है, इसलिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। डेयरी फार्मिका का बिजेलने चलने वाला धंधा है और एक बार मार्केट जम जाने के बाद इनकम की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि डेयरी फार्मिंग के साथ ही ऑर्गेनिक सब्जियों का बिजनेस भी बहुत फायदेमंद हो सकता है।
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गिरी नस्ल की गाय
Good
helo frd dairy ko starting me kitne kharcha aa jata h