डेयरी टुडे नेटवर्क,
भिवानी (हरियाणा),
डेयरी के क्षेत्र में युवा लगातार किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन एक आम धारणा है कि अच्छी कमाई के लिए बड़ा डेयरी फार्म खोला जाए, मशीनों का इस्तेमाल किया जाए तभी कामयाबी मिलती है। पर जो लोग ऐसा समझते हैं कि व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग में बड़ी संख्या में गाय और भैंस पालने से ही लाभ होता है उनके लिए भिवानी के थिलोड़ गांव के 27 वर्षीय युवक रेखू पिलानिया की सफलता की कहानी आंखे खोलने वाली है। रेखू कम संख्या में गाय-भैंस पालकर अपनी मेहनत से हर महीने करीब एक लाख रुपये कमा कर रहे हैं। डेयरी के सुल्तान में हम आज भिवानी के रेखू पिलानिया की सफलता की कहानी लेकर आए हैं।
हरियाणा के भिवानी जिले की तोहशाम तहसील के थिलोड़ गांव के युवा डेयरी किसान रेखू पिलानिया आज अपने इलाके में युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं। लेकिन उनके मिसाल बनने के पीछे उनकी अटूट मेहनत और लगन का बड़ा योगदान है। वैसे तो रेखू के घर में सन 2000 से ही पशुपालन और दुग्ध उत्पादन का काम होता था। रेखू के पिता सत्यवान सिंह पिलानिया 10 भैंस रखते थे और दूध को शहर में बेचा जाता था। उस वक्त रेखू पढ़ाई कर रहे थे और दूध सप्लाई करने में अपने पिता का सहयोग करते थे, रेखू सिर्फ अपने घर का दूध ही बल्कि आसपड़ोस के लोगों के घरों से भी दूध एकत्र के दूध सप्लाई किया करते थे। लेकिन 2013 में पिता ने डेयरी का काम बंद कर दिया। उस वक्त रेखू एमए में पढ़ रहे थे। पढ़ाई के बाद उनके सामने रोजगार का बड़ा संकट था, तो रेखू ने कंप्यूटर और मोबाइल की शॉप खोली, लेकिन कुछ सालों में ये दुकान बंद हो गई। तभी एक बार फिर रेखू में मन में अपने पुश्तैनी काम डेयरी का ख्याल आया और उन्होंने जनवरी 2017 में दो हॉलिस्टीयन फ्रीशियन गाय और दो मुर्रा भैंस के साथ अपने गांव में शीतलगढ़ डेयरी फार्म खोला और दुग्ध उत्पादन का काम शुरू कर दिया।
रेखू बताते हैं कि जनवरी 2017 में उन्होंने जब काम शुरू तो परिवार वालों और पड़ोसियों ने ऐसा करने से मना किया। लेकिन धुन के पक्के रेखू अपने काम में लगे रहे और दुग्ध उत्पाद के साथ पशुओँ की संख्या बढ़ाते रहे। आज इनके डेयरी फार्म में अच्छी नस्ल की 17 एचएफ गाय और 4 मुर्रा भैंस हैं। रेखू के मुताबिक वो पशुओं को खरीदते वक्त उनकी नस्ल पर पूरा ध्यान देते हैं। उनके पास जो गाय हैं वो 15 से 20 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से दूध देती हैं जबकि दो से ढाई लाख की कीमत वाली मुर्रा भैंस भी रोजाना 15 लीटर तक दूध देती हैं।
यह थोड़ा अजीब सा लगता है लेकिन रेखू ने अपने अच्छी नस्ल के पशुओं की बदौलत सिर्फ 17 गाय और 4 भैंस से रोजना तीन सौ लीटर दुग्ध उत्पादन करके दिखाया है। रेखू के फार्म में रोजाना गायों से करीब 250 लीटर और भैंस से 50 लीटर दूध होता है। रेखू अब दूध खुद सप्लाई नहीं करते बल्कि 28 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से अमूल को बेच देते हैं। दोनों वक्त अमूल की गाड़ी उनके फार्म पर आती है। रोजाना करीब करीब 6 से 7 हजार रुपये का दूध बिकता है। रेखू पिलानिया का दावा है कि उन्हें सारा खर्चा निकाल कर हर महीने एक लाख रुपये के करीब कमाई हो जाती है।
रेखू ने अपने खेतों के बीच में ही डेयरी फार्म खोलकर पशुओं को रखा है और वहीं नेचुरल माहौल में पशुओं की देखरेख की जाती है। पशुओं को चारा खिलाना, दूध दुहना, पानी पिलाना सारे काम रेखू खुद ही करते हैं। उन्हें इस काम में अपने पिता, माता और पत्नी का पूरा सहयोग मिलता है। यानी रेखू को पशुओं की देखरेख के लिए किसी मजदूर की जरूरत नहीं पड़ती है। इतना ही नहीं पशुओं को खिलाने के लिए हरा चारा जैसे ज्वार, बरसीम, बाजरा, मक्का सब उनके खेतों में होता है, सिर्फ दाना वो बाहर से लाते हैं। फार्म पर कोई मजदूर नहीं होना और चारे का खर्चा नहीं होने की वजह से उन्हें काफी बचत होती है और पशुओं को देखभाल भी अच्छी तरह से होती है।
रेखू कहते हैं उनका जोर हमेशा अच्छी नस्ल के पशु पालने पर रहता है। क्योंकि अच्छी नस्ल के पशु हमेशा स्वस्थ्य और तंदरुस्त रहते हैं और दुग्ध उत्पादन भी ज्यादा होता है। रेखू अपने फार्म के पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर भी काफी फिक्रमंद हैं। स्थानीय पशुचिकित्सक डॉ. रनबीर सिंह इनके फार्म पर पशुओं की रोजना जांच करते हैं और बीमार होने पर तत्काल इलाज करते हैं। रेखू ने अपने फार्म पर एक भैंसा भी पाला है, हालांकि अभी वो सिर्फ 17 महीने का लेकिन उसका कद 5 फीट 9 इंच का हो गया है। रेखू के मुताबिक वो तोता नाम के इस भैंसे को खिला-पिला कर तैयार कर रहे हैं और एक दिन हरियाणा के दूसरे नामी भैंसों में उनका तोता भी शुमार होगा और वो इसके सीमन के जरिए अच्छी ब्रीड की मुर्रा भैंस तैयार करेंगे साथ ही दूसरों की मदद भी करेंगे। रेखू के पिता जब फार्मिंग करते थे तो उनकी कई भैंस भिवानी और हरियाणा चैंपियन रह चुकी हैं, इसकी कई ट्रॉफी और सर्टिफिकेट भी उनके पास हैं। रेखू जल्द ही अपने फार्म में गाय और भैंस की संख्या बढ़ाने की योजना भी बना रहे हैं और उनका डेयरी फार्मिंग में आने वाले युवाओं को साफ संदेश है कि चाहे कम पशु पालो लेकिन अच्छी नस्ल के पालो, कमाई जरूर होगी। रेखू की कामयाबी ये साबित करती है कि कम पशुओं के साथ भी डेयरी फार्मिंग में लाखों की कमाई की जा सकती है।
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सुन्दर व पठनीय जानकारी |
Tumahre Barabar Koim Naukri Wala Kya kamayeya ??
Solid Mere Bhai Desi Hisab
Koi dairy farm me kaam milega? Hlo admin ji, Aap Jiski bhi story post pe dalta ho Uske mob no, address ho to hum unse Baat kar sakte hai
Achi nasl ki pashu ko kaise pehchane.chahe wo gay ho ya bhains.
sok nal kite kam da mul jarur pinda bai tusi sabat kar k dekha
bot vadia bai sok nal kita kam da mul jarur pinda
Pilanya je ke number post kro
Congregation pilaniya ji, your self business , govt. Se loan liya ki nhi.
Best of luck bhai
Mujoko.vi.upaya.bayeya