नई दिल्ली, 20 अगस्त 2017, (पीटीआई)
टाटा ट्रस्ट्स को उम्मीद है कि वह दूध को सूक्ष्म पौष्टिक तत्वों के मिश्रण के जरिए प्रामाणिक रूप से अधिक पौष्टिक एवं गुणकारी बनाने के सरकार के कार्यक्रम के तहत समूचे संगठित क्षेत्र बेचे जाने वाले दूध को इस कार्यक्रम के तहत लागने में अपने अभियान को छह से नौ महीने में ही पूरा कर लेगा। दूध को विटामिन ए और डी आदि से अधिक पौष्टिक बनाने के कार्यक्रम में सरकार के साथ मिल कर काम कर रहे टाटा समूह के इस न्यास ने पहले इसके लिए कई वर्ष का समय तय कर रखा था।
ट्रस्ट ने केंद्रीय खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और कई राज्यों की सहकारिकताओं के साथ दूध में माइक्रो न्यूट्रिएंट विशेषरूप से विटामिन ए और विटानिम डी जोड़ने के लिए हाथ मिलाया है।
टाटा ट्रस्ट्स के वरिष्ठ सलाहकार (पोषण) राजन शंकर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि डेयरी सहकारिकताओं के जरिये यह काम काफी हद तक छह से नौ महीने में पूरा हो जाएगा।’’ टाटा समूह के संस्थापकों द्वारा स्थापित इस परमार्थ निकाय ने इससे पहले संगठित क्षेत्र के 50 प्रतिशत दूध को 2019 तक फॉर्टिफिकेशन के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा था। उनसे पूछा गया था कि संगठित क्षेत्र में दूध को बेहतर और पोषक बनाने का काम कब तक पूरा होने की उम्मीद है। फिलहाल संगठित क्षेत्र में दूध का फॉर्टिफिकेशन अभी 25 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2015-16 में देश का कुल दूध उत्पादन 15.55 करोड़ टन रहा। इसमें से 18 से 20 प्रतिशत दूध संगठित क्षेत्र से आया। शेष दूध लघु और सीमान्त किसानों से आया। शंकर ने कहा कि संगठित क्षेत्र में दूध को और पोषक करने के काम में तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्यप्रदेश की डेयरी सहकारिताओं में सहमति बनने के बाद तेजी आई है।
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