डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 12 जून 2020,
लॉकडाउन में फ्लेवर्ड मिल्क, योगर्ट, आइसक्रीम और चीज जैसे वैल्यू एडेड डेयरी प्रोडक्ट्स की बिक्री कम रहने के कारण चालू कारोबारी साल में देश के डेयरी इंडस्ट्री (Dairy Industry) की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं होने की आशंका है। यह बात रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) की एक रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दशक में डेयरी उद्योग की आय हर साल औसत 10 फीसदी की दर से बढ़ी है।
संगठित डेयरी उद्योग को दूध के मुकाबले आइसक्रीम, चीज, फ्लेवर्ड मिल्क, दही और योगर्ट जैसे वैल्यू एडेड उत्पादों की बिक्री से ज्यादा फायदा होता है। संगठित डेयरी उद्योग की आय में ये उत्पाद एक तिहाई से ज्यादा का योगदान करते हैं। लेकिन चालू कारोबारी साल में इन उत्पादों की बिक्री में 2-3 फीसदी की गिरावट रह सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैल्यू एडेड उत्पादों की बिक्री घटने से कंपनियों की ऑपरेटिंग प्रोफिटेबिलिटी 0.50-0.75 फीसदी अंक घट सकती है। सरप्लस मिल्क को स्किम्ड मिल्क पाउडर में बदलने की वजह से बढ़ती जा रही इनवेंटरी और नहीं बिक सकने वाली वीएपी इनवेंटरी के कारण डेयरी क्षेत्र में संचालन पूंजी की जरूरत बढ़ेगी। इसके कारण मध्य श्रेणी की (500 करोड़ रुपए से कम रिवेन्यू वाली) कंपनियों को नकदी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान होटल और रेस्तरां के दो महीने तक बंद रहने के कारण वीएपी की संस्थागत बिक्री घटी है। इसके अलावा परिवहन सुविधाओं की कमी और महामारी के दौरान ठंडे उत्पादों (आइसक्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क और योगर्ट) की खपत से जुड़े डर के कारण भी पहली तिमाही में बिक्री प्रभावित हुई। पहली तिमाही में इन उत्पादों की मांग सबसे ज्यादा देखी जाती है।
रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि कुल बिक्री में दो-तिहाई का योगदान करने वाले लिक्विड मिल्क की बिक्री पहले की तरह जारी है। इसके कारण डेयरी की आये में अधिक गिरावट नहीं आएगी। दूध एक आवश्यक उत्पाद है, इसलिए लॉकडाउन के कारण दूध की बिक्री नहीं घटी है। चालू कारोबारी साल में दूध की बिक्री 3-4 फीसदी बढ़ सकती है।
क्रिसिल रेटिंग के निदेशक समीर चरनिया ने कहा कि दूध की मजबूत मांग और वीएपी की ऊंची कीमत (पिछले साल की दूसरी छमाही में कीमत 10 फीसदी बढ़ी थी) वीएपी की कम वॉल्यूम को कुछ हद तक बेअसर कर देगी और डेयरी सेक्टर की बिक्री में गिरावट नहीं होने देगी। लागत मूल्य कुछ कम रहने का भी फायदा मिलेगा। इसकी वजह से ऑपरेटिंग प्रोफिटेबिलिटी में 0.50-0.75 फीसदी से ज्यादा गिरावट नहीं आएगी। संगठित डेयरी उद्योग की सालाना आय 1.5 लाख करोड़ रुपए है। चालू कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में इस उद्योग का कारोबारी माहौल सामान्य स्थिति में लौट सकता है।
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