नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 27 मई 2024
जल्द ही सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस को अपने बाड़े में शामिल करें, जानें भैंस के दूध की कीमत गाय के दूध से कहीं ज्यादा इसका कारण भैंस के दूध में वसा की मात्रा अधिक होना है, आइए हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
इस नस्ल की भैंस अधिक दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है। देश में बड़ी संख्या में पशुपालक इसे पालते हैं और अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं। इसके अलावा इस भैंस की दूध देने की क्षमता भी अन्य नस्लों की तुलना में अधिक है। मुर्रा नस्ल की भैंस का रंग गहरा काला होता है। इसके अलावा इसके सींग भी घुमावदार होते हैं। मुर्रा भैंस के बारे में जानकारी: यह भैंस की एक ऐसी नस्ल है जिसके बारे में न सिर्फ पशुपालक बल्कि आम लोग भी वाकिफ हैं।
हरियाणा की मुर्रा भैंस: मुर्रा भैंस मुख्य रूप से हरियाणा के विभिन्न जिलों में पाई जाती है, जिसे काला सोना भी कहा जाता है। मुर्रा नस्ल की भैंस को दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है और इसे न केवल भारत में बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में पशुपालकों द्वारा पाला जाता है। भैंस की कोई अन्य नस्ल दूध उत्पादन के मामले में इसका दूर-दूर तक मुकाबला नहीं कर सकती। आपको बता दें कि मुर्रा भैंस प्रतिदिन 20 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है। देश में लगभग 5 करोड़ मुर्रा भैंसें पाली जा रही हैं, जो किसी भी अन्य नस्ल की भैंसों से अधिक है!
मुर्रा नस्ल की भैंस की पहचान ऐसे की जा सकती है
मुर्रा भैंस को कई लोग काला सोना भी कहते हैं. इसका कारण भैंस का काला रंग है।
इसके शरीर का आकार भैंसों की अन्य नस्लों की तुलना में बहुत बड़ा होता है।
मुर्रा भैंस के सींग जलेबी की तरह घुमावदार होते हैं।
पूंछ लंबी होती है और इसके निचले सिरे पर सफेद और काले बालों का गुच्छा होता है।
मुर्रा भैंस की आंखें काली और चमकदार, सिर पतला और गर्दन लंबी होती है।
इसके थन लंबे और समान दूरी पर जुड़े हुए होते हैं और नसें उभरी हुई होती हैं।
मुर्रा भैंस के सिर और पैरों पर सुनहरे रंग के बाल दिखाई देते हैं।
इसके शरीर का औसत वजन 350-700 किलोग्राम होता है।
मुर्रा भैंस के बछड़े की पहचान: मुर्रा भैंस का बछड़ा आमतौर पर काले रंग का होता है और उसका सिर छोटा होता है।
मुर्रा भैंस की उम्र की बात करें तो इसकी उम्र 26 साल तक होती है।
दूध का कारोबार करने वाले लोगों के लिए मुर्रा भैंस किसी वरदान से कम नहीं है। आसानी से किसी भी वातावरण में ढलने की क्षमता के कारण मुर्रा भैंस को अन्य जानवरों की तुलना में बीमारियों का खतरा कम होता है। आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज द्वारा पंजीकृत यह भैंस अपनी शारीरिक ताकत, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अधिक दूध देने के कारण पशुपालकों के बीच काले सोने के नाम से भी प्रसिद्ध है। मुर्रा भैंस का दूध वसा से भरपूर होता है जो उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पाद पैदा करता है।
अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के दम पर अपनी पहचान बनाने वाली मुर्रा भैंस कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता रखती है। इन भैंसों को मुख्य रूप से अच्छे दूध उत्पादन के अलावा उनके मांस और खाल के लिए पाला जाता है। लोग मुर्रा भैंसों का संकरण करके कई दुधारू नस्लें तैयार करते हैं।
(साभार- टाइम्सबुल.कॉम)
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