डेयरी टुडे नेटवर्क,
लखनऊ, 3 दिसंबर 2017,
उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार गांव-गांव में किसान पाठशाला की शुरुआतर करने जा रही है। इन किसान पाठशालाओं में किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी और सरकार की तरफ से चलाई जा रही खेती-किसानी की सभी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की तरफ से “द मिलियन फारमर्स स्कूल” नाम से नया कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसके बारे में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि, “विश्व मृदा दिवस के अवसर पर 5 दिसंबर को पूरे प्रदेश में द मिलियन फारमर्स स्कूल कार्यक्रम की शुरुआत 5 कालिदास आवास से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।“
कृषि मंत्री ने आगे बताया, “किसान खेतों में रासायनिक खादों को कम इस्तेमाल करें और खेत की सेहत का ख्याल रखें, इसके लिए किसानों को इन स्कूलों में प्रशिक्षित किया जाएगा। पहले चरण में 5 दिसंबर से लेकर 9 दिसंबर तक और दूसरे चरण में 11 से लेकर 15 दिसंबर सभी न्याय पंचायतों के प्राइमरी स्कूलों में किसानों की पाठशाला लगेगी। स्कूल में छुट्टी होने के बाद दिन में 3.30 बजे से लेकर 4.30 बजे तक यह कक्षाएं लगाई जाएंगी। जिन स्कूलों में बेंच नहीं हैं, वहां किसानों के बैठने के लिए व्यवस्था की गई है।”
द मिलियन फार्मर स्कूल कृषि विभाग के तकनीकी सहायक, ब्लॉक टेक्निकल मैनेजर (बीटीएम), असिस्टेंट टेक्निकल मैनेजर (एटीएम) और कृषि डिप्लोमाधारी किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके जरिए 10 लाख किसानों को खेती की नवीनतम तकनीकी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कृषि मंत्री ने बताया, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 नवंबर के अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में गिरते मृदा स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त करते हुए किसानों और वैज्ञानिकों से अपेक्षा की कि मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित कार्बनिक और उर्वरकों को प्रयोग करके मृदा स्वास्थ्य को बढ़ाया जाए। ऐसे में किसान पाठशाला के जरिए किसानों को यह जानकारी दी जाएगी कि वह कैसे अपने खेत की मिट्टी जांच कराकर खादों का इस्तेमाल करें।“
सूर्य प्रताप शाही ने बताया, “उत्तर प्रदेश में मृदा स्वास्थ्य ठीक रहे, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों से संवाद करके जैविक खेती को बढ़ावा देने, कार्बनिक खादों के प्रयोग और दलहनी फसलों की खेती को बढ़ाने का किया जा रहा है।“
द मिलियन फारमर्स स्कूल का मुख्य मकसद है कि किसान आधुनिक तकनीकों को सीखकर अच्छी खेती करके अपनी आय को बढ़ा सके। सरकार प्रयास कर रही है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो सके।
मृदा स्वास्थ्य को लेकर किसानों के बीच अधिक से अधिक जागरुकता पैदा करने की दिशा में पहले चरण में मृदा के 49.27 लाख नमूनों की जांच करके 1.45 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जाएगा। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में यह सभी जानकारी दी गई है कि किसान के खेत में किन तत्वों की क्या स्थिति है और जिन पोषक तत्वों कमी है, उसकी पूर्ति के लिए किसान कितना रासायनिक या जैविक खाद डाल सकता है।
पहला चरण: 5 से 9 दिसंबर तक्र
दूसरा चरण: 11 से 15 दिसंबर तक
समय: 3:30 से 4:30 बजे तक
स्थान: सभी न्यायपंचायतों के प्राइमरी स्कूलों में
1550total visits.