नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 31 मई 2020,
दूध को एक संपूर्ण आहार माना जाता है और सदियों से दूध खानपान का अहम हिस्सा बना हुआ है। दूध और दूध से बने उत्पादों के सेवन से जहां प्रोटीन, कैल्शियम और कई अन्य मिनरल्स की पूर्ति होती, वहीं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। दूध और दुग्ध उत्पादों की इन्हीं खूबियों को देखते हुए, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका उपयोग बढ़ाने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन हर वर्ष 1 जून को वर्ल्ड मिल्क डे मनाता है। 20 वर्षों से पूरी दुनिया 1 जून के दिन को वर्ल्ड मिल्क डे ( World Milk Day ) के रूप में सेलिब्रेट करती है। इस अवसर पर पूरे विश्व में दूध (Milk) और दूध से बने उत्पादों ( Dairy Product ) के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है।
भारत में भी इस अवसर पर कई आयोजन हो रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते वर्ल्ड मिल्क डे के मौके इंडियन डेयरी एसोसिएशन ( IDA ) की तरफ से भी दिल्ली में एक वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है। आईडीए के अध्यक्ष डॉ. जी एस राजौरिया ने डेयरी टुडे ( Dairy Today ) को बताया कि इस वेबिनार में कोरोना संकट के दौरान शहरों से गांव लौटने वाले लाखों प्रवासी कामगारों को डेयरी और पशुपालन के जरिए रोजगार देने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि 190 मिलिटन टन दुग्ध उत्पादन के साथ भारत विश्व में नंबर एक स्थान पर है। एक अनुमान के मुताबिक कुल दुग्ध उत्पादन का 20 प्रतिशत किसान अपने उपयोग के लिए रख लेता है, जबकि सिर्फ 30 प्रतिशत दूध डेयरी कंपनियों और प्लांट के द्वारा एकत्र किया जाता है। इस 30 प्रतिशत में करीब 14 प्रतिशन निजी कंपनियों और 16 प्रतिशत कॉपरेटिव डेयरी कंपनियों द्वारा कलेक्ट किया जाता है। कुलमिलाकर 50 प्रतिशत दूध ऐसा है, जिसे डिब्बे वाले, दूधिए आदि लेकर बेचते हैं। उसका घी भी बनाया जाता है, खोया भी बनाया जाता है, मिलावट भी की जाती है।
डॉ. राजौरिया के मुताबिक यदि इसी 50 प्रतिशत दूध का सही तरीके से कलेक्शन और वितरण हो, तो लाखों प्रवासी कामगारों को रोजगार मिल सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि 20-30 कामगारों के ग्रुप बनाकर, छोटे-छोटे चिलिंग सेंटर लगाए जाएं और ये प्रवासी कामगार आसपास के गांवों से दूध एकत्र कर आगे सप्लाई करें, तो उन्हें रोजगार मिलेगा और उपभोक्ताओं को शुद्ध दूध। डॉ. राजौरिया ने बताया कि इसके अलावा पढ़े-लिखे प्रवासी कामगारों को तीन हफ्ते की कृत्रिम गर्भाधान (AI) की ट्रेनिंग भी दी जा सकती है। भारत में अभी सिर्फ 30 प्रतिशत गाय-भैंस का ही कृत्रिम गर्भाधान हो पाता है, 70 प्रतिशत पशुओं को एआई के तहत लाने की चुनौती है। इस काम को गांव लौटे ये लाखों युवा कामगार कर सकते हैं। इससे जहां किसानों को अच्छी नस्ल के पशु मिलेंगे, वहीं इन कामगारों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही प्रवासी कामगारों को ब्रीडिंग और पनीर, खोया जैसे डेयरी प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग भी दी जा सकती है।
आईडीए के अध्यक्ष डॉ. राजौरिया ने बताया कि कोरोना वायरस को हराने में हमारी इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता ही सबसे कारगर उपाय है। यह वैज्ञानिक रूप से सत्यापित तथ्य है कि दूध और डेयरी प्रोडक्ट के सेवन से मनुष्य की इम्युनिटी पॉवर बढ़ती है। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड मिल्क डे के अवसर पर शाम 4 बजे से आयोजित होने वाले वेबिनार में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड डेयरी सर्विसेज (NDDB Dairy Services) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आमवीर सिंह, आनंदा डेयरी के सीएमडी राधे श्याम दीक्षित और डेयरी विशेषज्ञ एवं सुरुचि कंसल्टेंट के फाउंडर कुलदीप शर्मा उपरोक्त मुद्दों पर अपने विचार रखेंगे। डॉ. राजौरिया ने बताया कि आईडीए के साउथ जोन में इसी तरह का वेबिनार बेंगलूरू में जबकि वेस्ट जोन का वेबिनार वरोड में आयोजित किया जाएगा।
डॉ. राजौरिया ने डेयरी और पशुपालन क्षेत्र से जुड़े लोगों से वर्ल्ड मिल्क डे पर आयोजित इस वेबिनार में शामिल होने का आग्रह किया है। आईडीए के वेबिनार में निम्न लिंक के जरिए शामिल हुआ जा सकता है।–
Join Zoom Meeting –
https://us02web.zoom.us/j/9351504584?pwd=y_FLR9iZS1qP7yMsnBVgo4kX5aNifA
Meeting ID: 935 150 4584
Password: wmd123
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