जानिए क्यों, उत्तर प्रदेश में भूमिहीन किसानों को मुफ्त में दो-दो गायें बांटेगी योगी सरकार

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डेयरी टुडे नेटवर्क,
लखनऊ, 31 मई 2018,

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य के गरीब किसानों खासकर अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के किसानों को रिझाने के लिए बड़ा दांव खेलने की तैयारी कर रही है। यह दांव है राज्य के हर भूमिहीन किसान को निशुल्क देशी गाय देने का। किसानों को जो गायें दी जाने वाली हैं,वो कृषि जलवायु क्षेत्र की परंपरा के अनुकूल उन्नत प्रजाति की होंगी।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहले की थी घोषणा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ माह पहले ही मथुरा की एक रैली में इसकी घोषणा कर चुके हैं। पिछले दिनों यहां कृषि निदेशालय में आयोजित प्रदेश स्तरीय खरीफ गोष्ठी में प्रमुख सचिव पशुपालन डा.सुधीर एम बोबडे ने भी इस बात को दोहराया था। सरकार की यह योजना परवान चढ़ी तो इसका लाभ हर वर्ग के भूमिहीन किसान को मिलेगा, पर संख्या में अधिक होने के नाते सर्वाधिक लाभ अनुसूचित जाति के लोगों को होगा। ऐसा करके भाजपा सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ अपने अनुसूचित जाति-जनजाति को जोडऩे के एजेंडे को भी साधने का प्रयास करेगी।

27 फीसदी भूमिहीनों में से 60 फीसदी अनुसूचित जाति के

राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में किसान परिवारों की संख्या करीब 2.33 करोड़ है। नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक, इन किसानों में से करीब 27 फीसद भूमिहीन हैं। भूमिहीनों में सर्वाधिक 60 फीसद की संख्या अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की है। स्वाभाविक है कि सरकार की उक्त योजना का सर्वाधिक लाभ वंचितों को होगा ही।

योजना को अंजाम तक पहुंचा होगी बड़ी चुनौती

प्रदेश में किसानों और इनमें भी भूमिहीनों की संख्या को देखते हुए योजना को अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं होगी। कुल किसान परिवारों की संख्या के आधार पर भूमिहीन किसान परिवारों की कुल संख्या 64 लाख के करीब आएगी। हर परिवार को दो गाय देने के लिए सरकार को करीब 1.28 करोड़ गायों की व्यवस्था करनी होगी। वह भी संबंधित क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र और परंपरा के अनुसार। योजना से करीब 38 लाख अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोग लाभान्वित होंगे। पशु चिकित्सक डा. संजीव श्रीवास्तव के अनुसार, मौजूदा समय में उन्नत प्रजाति की एक देशी गाय का बाजार भाव 30 से 40 हजार रुपये है। इस तरह से सरकार को इसके लिए चार हजार करोड़ से अधिक रुपयों की व्यवस्था करनी होगी। गुणवत्ता के अनुरूप इतनी संख्या में गायों और इतने पैसे की व्यवस्था करना आसान नहीं होगा।

(साभार-दैनिक जागरण)

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