कर्ज माफी के नाम पर किसानों के साथ क्रूर मजाक, यूपी की योगी सरकार ने माफ किए 9 और 84 पैसे

डेयरी टुडे डेस्क,
लखनऊ/नई दिल्ली. 13 सितंबर 2017,

कार्यकाल के छह महीने पूरे होने पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडियन एक्सप्रेस को एक साक्षात्कार दिया है। जिसमें उन्होंने अपनी पांच उपलब्धियों में किसानों की कर्ज माफी को प्रमुख तौर पर गिनाया है। इसके साथ ही अपनी पीठ थपथपाते हुए उन्होंने कहा कि ये काम उन्होंने बगैर किसी दबाव के किया है। इतना ही नहीं उनका कहना था कि इसके लिए लोगों के कंधे पर किसी तरह का अतिरिक्त बोझ नहीं डाला गया है। और न ही किसी तरह का कोई ऋण लिया गया है। साथ ही उन्होंने इसमें ये भी जोड़ दिया कि उनकी सरकार किसानों से लगातार जीवंत संपर्क में है।

उनके शासन में किसानों के लिए किए गए कल्याण की हकीकत अब सामने आने लगी है। हिंदुस्तान के मेरठ संस्करण में जिला कृषि अधिकारी के हवाले से एक रिपोर्ट छपी है। इसमें सरकार द्वारा किसानों के नाम के साथ माफ किए गए उनके कर्जों की राशि भी दी गयी है।

इस तरह से सूची में कुल 18 किसानों के नाम हैं। इनमें भी 9 पैसे न्यूनतम से शुरू होकर कर्जे माफी की अधिकतम राशि 377 रुपये है। अब ये किसानों के साथ क्रूर मजाक है या फिर कोई हंसी ठिठोली ये तो सरकार ही बताएगी। लेकिन एक बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि योगी जी ने झूठ नहीं बोला है। कर्जे माफी में तकरीबन 36 हजार करोड़ रुपये की राशि बनती थी। अब उसमें योगी जी का कहना है कि उन्होंने न तो किसी पर कोई अतिरिक्त बोझ डाला और न ही कहीं से किसी तरह का ऋण लिया। और सबके कर्जे भी माफ हो गए। ये काम कोई जादूगर ही कर सकता है। ऐसे समय में जबकि सरकार कर्ज में डूबी है। और कहीं दूसरी जगह से पैसा भी नहीं लिया गया। तब निश्चित तौर पर कर्जों की माफी इसी तरह से हो सकती है। जिसमें किसी के खाते में 9 पैसे आएंगे और किसी के 84 पैसे। ये बेशर्मी की इंतहा है। और पूरे देश में ढिंढोरा पीटा जा रहा है कि सरकार ने किसानों के कर्जे माफ कर दिए हैं।

इस राशि को देखकर पहला सवाल तो यही बनता है कि आखिर किस हिसाब से इसको तय किया गया है। और अगर हिसाब भी पता चल जाए तो सरकार को ये भी बताना चाहिए कि 9 और 84 पैसे की कर्जे माफी कैसे होगी। इस दौर में जबकि कोई भिक्षा मांगने वाला शख्स भी पचास पैसे और एक रुपये लेने से इंकार कर देता है। तब जनता की सेवक सरकार ये हिमाकत कर रही है।

बीजेपी सरकार किसानों के साथ ये क्रूर मजाक उस समय कर रही है जब उसके ही शासन में कारपोरेट के दो बार में तकरीबन 2.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्जे माफ किए गए हैं। माल्या जैसे शख्स को 9 हजार करोड़ रुपये के साथ देश से फरार हो जाने दिया गया है। थामस पिकेटी की आयी ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के एक प्रतिशत लोगों के पास पूरी दौलत का 58 फीसदी हिस्सा है। 1995 तक दुनिया के बिलेनियरों की सूची में एक भी भारतीय शामिल नहीं था। इस समय उनकी तादाद 100 के ऊपर है। ऐसे में इस बात को समझना मुश्किल नहीं है कि सरकारें किसके लिए काम कर रही हैं। और ये बात 100 फीसद सत्य है कि ऊपर के हिस्से में दौलत के इकट्ठा होने की पहली शर्त किसानों और मजदूरों की लूट है।

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